आशा भोंसले हिंदी सिनेमा की दूसरी सबसे लोकप्रिय गायिका हैं। पहला स्थान उनकी दीदी लता मंगेशकर का है। आशा का जन्म 8 सितंबर 1933 को महाराष्ट्र के ‘सांगली’ में हुआ। इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध गायक एवं नाटककार थे। पिता ने बेहद छोटी उम्र से ही अपने बच्चों को संगीत की तालीम देनी शुरू कर दी थी। जब आशा महज 9 वर्ष की थी, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी। इसके बाद उनका पूरा परिवार मुंबई आकर रहने लगा। उनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर पर परिवार के पालन पोषण का पूरा बोझ आ गया। इस कारण लता जी ने काफी कम उम्र में गाना और फिल्मों मे अभिनय शुरू कर दिया।
सिर्फ 16 साल की उम्र मैं किया विवाह
आशा भोंसले ने पहली शादी सिर्फ16 वर्ष की उम्र में खुद ये उम्र मैं काफी बड़े गणपत राव भोंसले से की। उनकी यह शादी परिवार की इच्छा के विरुद्ध हुई थी, जिस कारण उन्हें घर भी छोड़ना पड़ा था। यह विवाह बुरी तरह असफल साबित हुआ । शादी टूटने के बाद वह अपने तीन बच्चों के साथ अपने घर वापस आ गयीं। आशा ने दूसरी शादी राहुल देव वर्मन’(पंचम) से की। यह विवाह आशा ने राहुल देव वर्मन के निधन तक निभाया। आशा जी की पहली शादी से उन्हें तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी।
50 स्वर्णीम वर्ष पूरे किए गायन करियर के
आशा भोंसले को अपने करियर की शुरुआत में कड़ा संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने अपने शुरूआती करियर में बी-सी ग्रेड की फिल्मों के लिए पार्श्व गायकी की। आशा भोंसले ने अपना पहला गीत वर्ष 1948 में सावन आया फिल्म में गाया था।
आशा भोसले के गायिकी के कैरियर में चार फिल्में मील का पत्थर साबित हुई हैं। इनमें नया दौर (1957), तीसरी मंजिल (1966), उमराव जान (1981) और रंगीला (1995)। बीआर. चोपड़ा की ‘नया दौर’(1957) आशा की पहली सुपर हिट फिल्म थी। मो. रफी के साथ गाए उनके गीत ‘माँग के हाथ तुम्हारा….’, ‘साथी हाथ बढ़ाना…’ और ‘उड़े जब -जब जुल्फे तेरी…’ गीतों ने धूम मचा दी थी। साहिर लुधियानवी के लिखे और ओ. पी. नैयर के संगीतबद्ध किए गीतों ने उन्हें एक खास पहचान दी। इसके बाद बी. आर. चोपड़ा ने अपनी कई फिल्मों आशा को मौका दिया। उनमे प्रमुख फिल्म- वक्त, गुमराह, हमराज, आदमी और इंसान और धुंध आदि है।
तीसरी मंजिल ने दी नई ऊंचाई
आशा भोसले को राहुल देव वर्मन की ‘तीसरी मंजिल’(1966) से काफी प्रसिद्ध मिली थी। जब पहले उन्होने गाने की धुन सुनी तो गीत ‘आजा आजा…’ को गाने से इनकार कर दिया था। बाद मैं 10 दिन के अभ्यास के बाद जब अंतिम तौर पर यह खास गीत आशा जी ने गाया तो खुशी में आर. डी. वर्मन ने 100 रुपये का नोट आशा जी के हाथ में रख दिया। आजा आजा…. और इस फिल्म के अन्य गीत – ओ हसीना जुल्फों वाली… और ओ मेरे सोना रे…. इन सभी गीतों में रफी के साथ आशा की मदमस्त आवाज ने तहलका मचा दिया।
उमराव जान की जान आशा की गजलें
रेखा अभिनित ‘उमराव जान’(1981) में आशा ने चार यादगार गज़लें गाईं। दिल चीज क्या है.,इन आँखों की मस्ती के…,और ये क्या जगह है दोस्तों… और जुस्त जु जिसकी थी।..। इन गज़लों के संगीतकार खय्याम थे। आशा जी स्वयं आश्चर्यचकित थी कि वह इन गज़लो को इतने शानदार ढंग ये सफलतापूर्वक गा पाईं। इन गज़लों ने आशा जी को प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया और उनकी बहुमुखी प्रतिभा साबित हुई।
रंगीला का मदमस्त गायन
रंगीला (1995):- सन 1995 में 62 वर्षीय आशा जी ने युवा अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर के लिए फिल्म रंगीला में गाया। इन्होने फिर अपने चाहनेवालों को आश्चर्यचकित कर दिया। सुपर हिट गीत – तन्हा तन्हा… और रंगीला रे… गीत ए. आर. रहमान के संगीत निर्देशन में गाया जो काफी प्रसिद्ध हुआ।
आशा भोंसले से जुडी कुछ रोचक बातें
1- आशा ने महज दस साल की उम्र में हिंदी सिनेमा में गायन शुरू किया
2-वे बेहद अच्छी मिमिक्री आर्टिस्ट भी हैं। वह अपनी लता मंगेशकर और गुलफाम अली की खूब नकल करतीं है ं।
3आशा ताई नें हिंदी सिनेमा में छ दशक तक कई बेहतरीन गाने गाये, जब उनके जमाने के गायक रिटायरमेंट ले रहे थे, तब उन्होंने संगीत निर्देशक ए.आर रहमान के साथ मुझे रंग दे, तन्हा-तन्हा गानों से हिंदी सिनेमा में अपनी वापसी की।
4आशा जी हिंदी सिनेमा की अकेली ऐसी गायिका हैं, जिन्हे ग्रैमी पुरुस्कार के नामंकन मिला।
5 आशा भोंसले सिर्फ अच्छी गायिका ही नहीं बल्कि एक बेहद अच्छी कूक भी हैं। आशा जी दुबई और कुवैत में अपने रेस्त्रां चैन भी चलाती हैं
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नवीन शर्मा