आमिर खान व काजोल की फिल्म फना का गीत चांद सिफारिश जो करता हमारी, देता वो तुमको बता … यह वो पहला गीत था जिसने मेरा ध्यान प्रसून जोशी की तरफ खींचा था। इसके बाद तो कई फिल्मों में उनके लिखे गीत पसंद आए थे। प्रसून के पिता सरकारी अफसर थे. मां क्लासिकल सिंगर। मां से ही उन्हें संगीत का संस्कार मिला। मात्र 17 साल की उम्र में उनकी पहली किताब ‘मैं और वो’ प्रकाशित हुई थी। उन्होने फिजिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद एमबीए किया। करियर की शुरुआत दिल्ली की एड कंपनी O&M (Ogilvy and Mather) से की थी। इसके बाद वो अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञापन कंपनी ‘मैकऐन इरिक्सन’ से जुड़े और उसके कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे। उनके कुछ विज्ञापनों के पंचलाइन ने उन्हें काफी शौहरत दिलाई। उनकी लिखी ये पंचलाइन काफी लोकप्रिय हुईं – ठंडा मतलब कोका कोला – क्लोरमिंट क्यों खाते हैं? दोबारा मत पूछना – ठंडे का तड़का… यारा का टशन – अतिथि देवो भव: – उम्मीदों वाली धूप, सनसाइन वाली आशा. रोने के बहाने कम हैं, हंसने के ज़्यादा। लज्जा फिल्म से शुरू हुआ गीतों का सफर इसके बाद प्रसून ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा। राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘लज्जा’ उनकी गीतकार के रूप में पहली फिल्म थी। उन्होंने ‘मौला’, ‘कैसे मुझे तू मिल गई’, ‘तू बिन बताए’, ‘खलबली है खलबली’, ‘सांसों को सांसों’ में जैसे मशहूर गाने लिखे हैं। तारे जमीन पर, क्या इतना बुरा हूं मैं मां जैसा मार्मिक गीत लिखा है। प्रसून भले ही बाजार के लिए लिखते हों लेकिन उनके द्वारा लिखी गई कविताओं में आमलोगों की संवेदना होती है. चाहे वह लड़कियों-महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर लिखा हो या फिर मुंबई आतंकी हमले के बाद लिखी गई उनकी कविता। पाकिस्तान के पेशावर के स्कूल में होने वाले आतंकी हमले के बाद लिखी गई उनकी पंक्तियां पूरी दुनिया में काफी सराही गईं थी। प्रसून को गुलजार बहुत पसंद हैं और मुझे भी। उनके लेखन में भी गुलजार का असर पड़ा होगा। ये हैं उनके यादगार गीत गाना- हम तुम फिल्म- हम तुम (2004) गाना- लुका छुपी बहुत हुई फिल्म- रंग दे बसंती (2006) गाना- मौला मौला फिल्म- दिल्ली 6 (2009) गाना- मेरी मां फिल्म- तारे जमीन पर (2007) गाना- मेरा यार है रब वरगा फिल्म- भाग मिलखा भाग (2013) गाना- कैसे मुझे तुम मिल गई फिल्म- गजनी (2008) गाना- मेरे हाथ में तेरा हाथ हो फिल्म- फना (2006) गाना- रहना तू है जैसे तू फिल्म- दिल्ली 6 (2009) गाना- दूरियां भी है जरूरी फिल्म- ब्रेक के बाद गाना- मौसम की अदला-बदली में फिल्म- ब्लैक (2005) इन अवार्ड से हुए सम्मानित 2002: विज्ञापन जगत का ABBY अवॉर्ड 2003: कान्स लॉयन अवॉर्ड 2005: ‘सांसों को सांसों’ गाने के लिए स्क्रीन अवॉर्ड 2007: चांद सिफारिश गाने के लिए फ़िल्मफेयर अवॉर्ड 2008: ‘मां’ गाने के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर 2013: फ़िल्म ‘चिटगॉन्ग’ के गीत ‘बोलो ना’ के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार 2014: फ़िल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ के गाने ‘ज़िंदा है तो प्याला पूरा भर ले’ के लिए फिल्मफेयर 2015: फ़िल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ के लिए बेस्ट स्टोरी अवॉर्ड 2015: पद्मश्री पुरस्कार प्रसून 2017 में सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष बने