- हिंदू धर्म में आंवले के वृक्ष का विशेष महत्व – शंकर
नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
महेंद्रगढ़ रेलवे रोड़ स्थित श्री विष्णु भवान मन्दिर में बुधवार को महिलाओं ने आंवले के वृक्ष की पूजा कर आंवला नवमी अर्थात अक्षय नवमी मनाई। इस दौरान महिलाओं ने आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर उसकी जड़ में दूध से पूजा की तथा इसके बाद पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा बांधकर कपूर बत्ती और शुद्ध घी से दीपक जलाकर आरती की तथा 108 बार परिक्रमा की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं शिवजी का निवास होता है। इस दिन इस वृक्ष के नीचे बैठने और भोजन करने से रोगों का नाश होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है।
हिंदू धर्म में आंवले के वृक्ष का विशेष महत्व – शंकर
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी भ्रमण करने के लिए पृथ्वी लोक पर आईं। रास्ते में उन्हें भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। माता लक्ष्मी ने विचार किया कि एक साथ विष्णु एवं शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय होती है और बेलपत्र भगवान शिव को। मां लक्ष्मी को ख्याल आया कि तुलसी और बेल का गुण एक साथ आंवले के पेड़ में ही पाया जाता है। ऐसे में आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिन्ह मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। कहा जाता है कि पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन करवाया। इसके बाद स्वयं भोजन किया, जिस दिन मां लक्ष्मी ने शिव और विष्णु की पूजा की थी, उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि थी। तभी से कार्तिक शुक्ल की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के रूप में मनाया जाने लगा।
आंवले के पेड़ की पूजा करने से समस्त पाप नष्ट
इस अवसर पर मन्दिर प्रभारी शंकर लाल ने बताया कि कहा जाता है कि आंवला वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कंद में रुद्र, शाखाओं में मुनिगण, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और फलों में प्रजापति का वास होता है। ऐसे में आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इसकी पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन से धन, विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से संबंधित समस्या खत्म हो जाती है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अक्षय नवमी का दिन सबसे उत्तम माना जाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि आयुर्वेद के अनुसार आंवला आयु बढ़ाने वाला फल है, यह अमृत के समान माना गया है, इसलिए हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। आंवला भगवान विष्णु का सबसे प्रिय फल है और आंवले के वृक्ष में सभी देवी देवताओं का निवास होता है इसलिए इसकी पूजा का प्रचलन है।
इस दौरान अनेक महिलाओं ने पूजा-अर्चना की
इस दौरान शशि बाला, उर्मिला देवी, सुशिला देवी, ललिता देवी, माया देवी, शशि यादव, डिम्पल, रेखा गर्ग, सिना, मनीषा सहित अनेक महिलाओं ने पूजा-अर्चना की।
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