संजीव कुमार, रोहतक:
गौड़ ब्राह्मण आयुर्वेदिक कॉलेज,ब्राह्मणवास में आस्टियोआर्थराइटिस विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि गौड़ ब्राह्मण शिक्षण संस्थाओं के पड़ें सचिव डॉ जयपाल शर्मा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता गौड़ ब्राह्मण आयुर्वेदिक कॉलेज,ब्राह्मणवास के प्राचार्य डॉ मनीष शर्मा ने की। कार्यक्रम में मुख्यवक्ता हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ अमित बत्रा व पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ माधवी सीठा रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान धन्वंतरि के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि गौड़ ब्राह्मण शिक्षण संस्थाओं के पड़ें सचिव डॉ जयपाल शर्मा ने कहा कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम बिमारियों से भी घिर रहे है। इस तरह के सेमिनार हमारे लिए बहुत ही मददगार साबित हो सकते है।
मुख्यवक्ता हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ अमित बत्रा ने सेमिनार में उपस्थित विधार्थियों को इस विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा आॅस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों से संबंधित एक प्रमुख बीमारी है। शरीर में जहां दो हड्डियां आपस में जुड़ती हैं, उसे ज्वॉइंट यानी जोड़ कहते हैं। हड्डियों के अंतिम सिरे को सुरक्षित रखने के लिए एक प्रोटेक्टिव टिशू होता है, जिसे कार्टिलेज कहते हैं। जब किसी कारण से कार्टिलेज टूट जाता है। या उसमें दरार पड़ जाती है। तो इसके कारण हड्डियां आपस में रगड़ खाती हैं, नतीजतन दर्द, अकड़न या अन्य तरह की समस्याएं होती हैं। इस स्थिति को आस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं। वैसे तो यह समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर उम्रदराज लोगों को ज्यादा होती है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि आस्टियोआर्थराइटिस होने पर डायट पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है, क्योंकि जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डालने से बचने के लिए वजन नियंत्रण में रखना जरूरी होता है। बहुत से शोधों से इस बात की पुष्टि हुई है कि अगर घुटनों का आस्टियोआर्थराइटिस हो तो फ्लैवोनॉइड्स युक्त फल व सब्जियों का सेवन करने से काफी फायदा होता है। इसके अलावा विटामिन सी, विटामिन डी, बीटा कैरोटिन व ओमेगा3 फैटी एसिड्स युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन करने से भी फायदा होता है। मुख्यवक्ता पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ माधवी सीठा ने अपने उध्बोधन में विधार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा सन्धिवात ऐसा रोग है जो शरीर में अम्लता बढ़ जाने से होता है। उन्होंने कहा शरीर में अम्लता बाहर से नहीं आती है अपितु वो गलत खानपान के स्वरूप होती है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया यह रोग चोट लगने,मोटापा बढ़ने,दैनिक जीवन में ज्यादातर बैठे रहने व ज्यादा मेहनत का कार्य करने से हो सकता है।
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