भिवानी : संस्कृत की उपादेयता पर वक्ताओं ने की चर्चा

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पंकज सोनी, भिवानी :
हरियाणा संस्कृत अकादमी पंचकूला एवं अखिल भारतीय संस्कृत विकास परिषद हरियाणा के तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत विद्वत्संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सिवानी मंडी के श्री कृष्ण प्रणामी पब्लिक स्कूल में हुए कार्यकम की अध्यक्षता संस्कृत अकादमी के निदेशक डा. दिनेश शास्त्री ने की। मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य डा. दलीप सिंह खर्ब रहे। इस अवसर पर भाषा शिक्षक गौरव सम्मान कार्यक्रम में 30 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में एक तरफ जहां कोरोना काल में संस्कृत भाषा की उपादेयता और संस्कृत भाषी प्रबुद्ध जीवियों के योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई। वहीं संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में शिक्षक की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम का शुभारंभ होने से पहले विद्यालय के कनिष्ठ और वरिष्ठ वर्ग के विद्यार्थियों के बीच अंतरसदनीय काव्य पाठ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सुशील शास्त्री ने की। संरक्षक पंडित मिथिलेश शर्मा अध्यक्ष अखिल भारतीय संस्कृत विकास परिषद हरियाणा रहे। मंच संचालन विद्यालय के अध्यापक नरेंद्र दत्त सुयाल द्वारा किया गया। विद्वत्संगोष्ठी कोसम्बोधित करते हुए संस्कृत अकादमी निदेशक डा. दिनेश शास्त्री ने कहा कि हरियाणा सरकार संस्कृत को लगातार बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। प्रदेश में अलग से संस्कृत शिक्षा बोर्ड की स्थापना की जा रही है। विद्यालयों में कक्षा तीन से संस्कृत विषय को लागू कराने के प्रयास लगातार सफलता चढ़ रहे हैं। इससे स्कूलों में संस्कृत शिक्षकों के पदों में और बढ़ोतरी होगी। मुख्य वक्ता डा. अशोक मिश्र ने कहा कि संस्कृत वेदों की भाषा रही है। जिसका दौर फिर से लाने की आवश्यकता है। आचार्य देवदत्त आर्य ने भी संस्कृत को संस्कृति का आधार बताया और शिक्षक को बच्चों में संस्कृति और संस्कृत का प्रसार करने की भावना पर जोर देने की बात कही। पूर्व प्राचार्य जगदीश चहल ने कहा कि किसी भी भाषा का विरोध उचित नहीं होता बल्कि उसकी उपयोगिता को व्यवहार में लाना चाहिए। विशिष्ट वक्ता डा. मुरलीधर द्विवेदी ने कहा कि योग और वैज्ञानिकता में समझौता न करें बल्कि दोनों की उपयोगिता को ध्यान में रखकर अपनी संस्कृति और संस्कृत को बढ़ाने के लिए अग्रसर बनें। पंडित मिथिलेश शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में नियमित दिनचर्या और योग साधना से विकार मुक्त हो सकते हैं। योग एक औषधि है जो व्यक्ति को नियमित रूप से ग्रहण करनी चाहिए। विद्यालय के प्रधानाचार्य एसएस बलहरा ने कहा कि हमारा विद्यालय संस्कृत भाषा के प्रसार के लिए सदैव तत्पर रहता है और इसी कड़ी में प्रात:कालीन सभा हर रोज संस्कृत श्लोक बोलकर शुरू की जाती है। कार्यक्रम के डा. दिनेश शास्त्री ने विद्यालय के अन्तरसदनीय विजेता प्रतिभागियों और 32 भाषा शिक्षकों को सम्मानित किया। इस अवसर पर विद्यालय प्रधानाचार्य एस एस बलहारा, सत्यपाल शर्मा, रेखा रानी, देवदत्त आर्य, डा. दलीप खर्ब, मुकेश कुमार, सुशील शास्त्री, कपिल आनंद, नरेंद्र दत्त, भूपेंद्र शास्त्री मुरारी लाल, सुमन शास्त्री, बजरंग, विजय कुमार, महासिंह सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।