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सोनीपत। महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल के क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र मुरथल अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी) की 24 वें समूह की दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ संयुक्त रूप से मुख्य अतिथि आईसीएआर नई दिल्ली के उप महानिदेशक (एचएस) डॉ. आनंद कुमार व विशिष्ट अतिथि डीक्रस्ट मुरथल के वीसी डॉ. राजेंद्र कुमार ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एमएचयू के कुलपति प्रो. समर सिंह ने की।
आय दोगुणा करने में भी मशरूम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी
आईसीएआर नई दिल्ली के उप महानिदेशक (एचएस) डॉ. आनंद कुमार ने वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में कुपोषण की समस्या है, जिसकों दूर करने में मशरूम एक अहम भूमिका निभा सकती है। क्योंकि विटामिन-डी के अलावा अन्य महत्वपूर्ण पोषण तत्वों से भरपूर है, हालांकि देश में अन्न उत्पादन काफी अधिक है, लेकिन कुपोषण से निजात पाने के लिए फल, सब्जियों के अलावा मशरूम की विशेष महत्वता है, हालांकि देश में फल सब्जियों का उत्पादन 331 मिलियन टन है, पर देश में मशरूम के गुणवत्तापूर्ण बीज (स्पोन) की कमी बनी हुई है। देश में मशरूम का अच्छा बीज बनाकर मशरूम का उत्पादन कई गुणा बढ़ाया जा सकता है, घर के अंदर खेती होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं एवम महिलाओं के लिए मशरूम उत्पादन रोजगार का एक अच्छा साधन बन सकता है। इसके अलावा किसानों की आय दोगुणा करने में भी मशरूम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
वैज्ञानिकों को मशरूम उत्पादन ओर मूल्य संवर्धन पर काम करना चाहिए: कुलपति प्रो. समर सिंह
एमएचयू कुलपति प्रो. समर सिंह ने बताया कि वैज्ञानिकों से नई-नई तकनीक अपनाकर मशरूम के उत्पादन व खानपान ओर मूल्य संर्वधन पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मशरूम के बीज (स्पोन) के उत्पादन व बिक्री के लिए एक सर्टिफिकेट कोर्स या ट्रैनिंग की जरुरत है। उन्होंने उच्च मूल्य की मशरूम जैसे सिटाके, क्रीड़ाजड़ी आदि विशेष खुंभियों का विशेष उत्पादन व बिक्री पर काम करने पर जोर दिया। मशरूम प्रोटीन का बहुत बड़ा स्त्रोत है, इसे हेल्दी फ्रूट इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि मशरूम में विटामिन डी, बी आदि सभी पोषक तत्व मौजूद है। मशरूम की खेती करने पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, इसकी खासबात ये कि इसे बच्चे भी कर सकते है, अनपढ़, पढ़े लिखे व महिलाएं भी कर सकते है। कुलपति ने कहा कि मशरूम की खेती कर आय को कई गुणा बढ़ा सकते है।
निदेशक ने खुंभ उत्पादन की उपलब्धियों के बारे में बताया
खुंभ अनुसंधान निदेशालय सोलन निदेशक डॉ. वीपी शर्मा कहा कि पिछले वर्षों में खुंभ उत्पादन से सम्बधित उपलब्धियों पर प्रस्तुति देकर देश में चल रहे अनुसंधान एवम प्रचार प्रसार के ऊपर चर्चा की। खुंभ अनुसंधान निदेशालय सोलन के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीएल अत्री ने कार्यशाला में आए सभी का धन्यवाद किया। मौके पर डीआर डॉ.आरके गोयल, डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ.श्याम सुंदर शर्मा, डॉ. विजय अरोड़ा, डॉ. सतेंद्र यादव,डॉ. हरजोत, डॉ. विकास काम्बोज, वित्त नियंत्रक महीपाल काम्बोज, ईओ सुरेश सैनी सहित अन्य वैज्ञानिकगण मौजूद रहे।
हरियाणा देश में मशरूम उत्पादन में अग्रणीय राज्य: डॉ. अजय सिंह
एमएचयू कुलसचिव डॉ. अजय सिंह ने कार्यशाला में आए देशभर के वैज्ञानिकों का स्वागत करते हुए कहा कि देश में मशरूम उत्पादन में हरियाणा अग्रणी राज्य है। यहां के किसानों की कम लागत में उत्पादन करने की तकनीक इजाज की व यही से प्रदेश के सटे हुए अन्य राज्यों में यहां से प्रसार हुआ। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य को मशरूम उत्पादन में अग्रणी राज्य होने में क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र मुरथल का विशेष योगदान रहा है। युवाओं, किसानों को प्रशिक्षण व उच्च क्वालिटी का बीज व कंपोस्ट खाद उपलब्ध करवाकर योगदान दिया है। हरियाणा में बटन, ढिगंरी खुभ, कीड़ाजड़ी व सिटाके मशरूम का उत्पादन भी शुरू हो चुका है।
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