ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट की आगामी सितंबर में परीक्षा होनी है। इस संबंध मेंआज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सात राज्यो के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक की। इस वर्चुअल बैठक मेंशाामिल सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित घोषणाएं परेशान कर सकती हैं। यह वास्तव में एक झटका है। सोनिया ने इस दौरान केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि छात्रों की समस्याओं और परीक्षा के मुद्दे पर केंद्र लापरवाही से निपट रहा है। वर्चुअल बैठक में शामिल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जेईईऔर एनईईटी की परीक्षाओं को स्थिगित कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का सुझाव दिया। उन्होंने सभी राज्यों को एक साथ आने की बात कही, और जो र देकर कहा कि कोरोना के इस विकट समय में हमें सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा सभी राज्य सरकारों से यह अनुरोध रहेगा कि वे एक साथ आएं जब तक छात्रों के परीक्षा में उपस्थित होने की स्थिति नहीं बन जाती उस समय तक परीक्षा स्थगित कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट चलें। ममता बनर्जी इस दौरान प्रधानमंत्री को लिख अपने पत्र का भी उल्लेख किया कि उन्होंने इससे पहले प्रवेश परीक्षा को स्थगित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा था। ममता ने कहा कि परक्षाएं सितंबर में हैं। क्यों छात्रों के जीवन को खतरे में डाला जा रहा है? हमने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा लेकिन वहां से कोई भी जवाब नहीं मिला। बता दें कि विपक्षी दलों की यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब एक दिन पहले नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने सुप्रीम कोर्ट के 17 अगस्त के आदेश का हवाला देते हुए परीक्षा शेड्यूल में बदलाव की मांग खारिज की है। वहीं दूसरी ओर महराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अमेरिका की रिपोर्ट का हवाला दिया कि वहां स्कूलों जब फिर से खोला गया तब 97,000 बच्चे कोरोनो वायरस बीमारी से संक्रमित थे । अगर ऐसी स्थिति यहां आएगी तो हम क्या करेंगे?”आगे उन्होंने यह भी कहा कि जून में जब मामले कम थे तब स्कूलों को नहीं खोला गया अब परीक्षाओं को आयोजित करने के लिए स्थिति को कैसे अनुकूल माना जा सकता है। जबकि, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोनिया गांधी के साथ सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों की वर्चुअल बैठक के दौरान कहा,” मुझे ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले हमें प्रधानमंत्री या फिर राष्ट्रपति के पास जाना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बैठक में मौजूद सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने परीक्षा आयोजन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर सहमति जताई है।