Ratan Tata आज समाज डेस्क : विश्व के जाने माने दिग्गज बिजनेसमैन रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे। 86 साल की उम्र में कल रात उनका निधन हो गया। रतन टाटा पिछले कई साल से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे और दो दिन पहले ही अस्पताल में दाखिल हुए थे। रतन टाटा के इस तरह दुनिया से चले जाने से बिजनेस जगत को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती। रतन टाटा जहां अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने में माहिर थे वहीं वे देश के सबसे बड़े दानी भी थे। रतन टाटा ने अपनी आय का बहुत बड़ा हिस्सा दान दिया है। आज हम आपको उनकी जिंगदी के कुछ ऐसे किस्से बताने जा रहे हैं जिनसे आप शायद पहले वाकिफ नहीं होंगे।
जब रतन टाटा ने देश की सबसे सस्ती कार बनाने की घोषणा की हो पूरे व्यापार जगत में सनसनी फैल गई थी। एक साक्षात्कार में रतन टाटा बताते है कि उन्हें एक बार देखा की स्कूटर पर बारिश के मौसम में एक परिवार जा रहा है। बच्चा मां और पिता के बीच बैठा हुआ है। अक्सर फिसलन भरी सड़कों पर भी इस तरह से लोग स्कूटर से सफर करते हुए नजर आते थे। इसी घटना ने उन्हें देश की सबसे सस्ती कार बनाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद
नैनो को जनवरी 2008 में आटो एक्सपो में आम आदमी की कार के रूप में पेश किया गया था। हालांकि, यह कार बाजार में कुछ ज्यादा कमाल नहीं कर पाई। कार को मार्च 2009 में बाजार में उतारा गया था, जिसकी शुरुआती कीमत लगभग एक लाख रुपये थी। भले ही लागत में वृद्धि हुई हो, रतन टाटा ने जोर देकर कहा था कि वादा तो वादा ही होता है।
एक इंटरव्यू के दौरान रतन टाटा ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि जब वह लॉस एंजलिस में एक आर्किटेक्चर फर्म में काम करते थे, तब उनकी मुलाकात एक लड़की से हुई और उनकी मुलाकात प्यार में बदल गई। वह दोनों शादी करना चाहते थे। लेकिन अपनी बीमार दादी की देखभाल के लिए उन्हें भारत आना पड़ा। जब वह वापस अपनी प्रेमिका से मिलने पहुंचे और उन्हें अपने साथ भारत ले जाने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन ऐसा कभी हो नहीं सका। 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण महिला के पैरेंट्स अपनी बेटी को भारत भेजने में सहज नहीं थे। इस तरह दोनों का रिश्ता टूट गया। प्रेमिका से रिश्ता टूटने के बाद उन्होंने कभी प्यार को तलाश करने की कोशिश नहीं की, क्योंकि शायद वह जानते थे कि फिर कभी किसी से उस तरह से प्रेम नहीं पाएंगे।
एक इंटरव्यू के दौरान रतन टाटा ने बताया कि एक बार टाटा मोटर्स के कारोबार को गैंगस्टर ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी। गैंगस्टर ने टाटा मोटर्स के कर्मचारियों के साथ मारपीट की और उन्हें डरा-धमका रहा था। रतन टाटा ने गैंगस्टर को रोकने के लिए खुद मोर्चा संभाला। इसका बाद उस गैंगस्टर ने टाटा मोटर्स के काम में मुश्किल खड़ी करने की कोशिश की। उसने कर्मचारियों में फूट डालने के लिए कंपनी के करीब 2000 कर्मचारियों को अपने साथ कर लिया था। फूट डालने, डराने-धमकाने के साथ-साथ गैंगस्टर टाटा मोटर्स के कर्मचारियों के साथ मारपीट करता था और उन्हें काम बंद करने के लिए धमकाता था। इसके बाद रतन टाटा खुद प्लांट पहुंचे और कई दिनों तक तक वहीं रहे। कर्मचारियों को भरोसा दिलाया कि वो उनके साथ हैं। ऐसे जाकर कर्मचारियों ने वापस काम शुरू किया।
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