Aaj Samaj (आज समाज),Social Worker Kumari Ranjeeta Kaushik, पानीपत : कुमारी रंजीता कौशिक ने स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती के पावन अवसर पर इसराना में आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया व गरीब व असहाय लोगो को कंबल व गर्म वस्त्र वितरित करते हुए कहा कि वे नारी शिक्षा के पक्षधर थे, लेकिन जाति भेद के कट्टर विरोधी थे। स्वामी दयानंद सरस्वती की यही शिक्षा थी की हमे अपनी कमाई में से कुछ हिस्सा गरीबों को भी दान करना चाहिए। स्वामी दयानन्द ने सार्वभौमिक शिक्षा का प्रतिपादन किया। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद ने दलितोद्धार, स्त्रियों की शिक्षा, बाल विवाह निषेध, सती प्रथा और विधवा विवाह को लेकर समाज में क्रांति का बिगुल बजाया। लोगों को वैदिक धर्म से जोड़ने के लिए स्वामी दयानंद ने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ नामक ग्रंथ की रचना की। इस ग्रंथ में उन्होंने नारा दिया, ‘वेदों की ओर लौटो यह नारा आज भी समस्त समाज को नई दिशा देने में सक्षम है। कुमारी रंजीता ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती हमेशा धर्म सुधार के लिए अग्रणी रहे ।उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की और पाखंड खंडिनी पताका फहराकर कई उल्लेखनीय कार्य किए। वे आगे चलकर महर्षि दयानंद बने और वैदिक धर्म की स्थापना हेतु ‘आर्य समाज’ के संस्थापक के रूप में विश्वविख्यात हुए।