चंडीगढ़। विधानसभा चुनावों को लेकर चाहे टिकटों के वितरण की जानकारी हो या फिर टिकट नहीं मिलने से आसूं बहा रहे दावेदारों की, हर जानकारी हर पल वोटर्स व आम जनता के बीच तुरंत पहुंच रही है। ये सारा कमाल है सोशल मीडिया का। बढ़ते तकनीकी विकास ने सोशल मीडिया की भूमिका को वर्तमान राजनीतिक व चुनावी परिदृश्य में बेहद महत्वपूर्ण बना दिया है। आने वाले विधानसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में तो इसका महत्व ज्यादा हो गया है। प्रदेश में करीब 1.83 करोड़ वोटर्स हैं व एक रिपोर्ट के अनुसार इनमें से करीब 80 से 90 फीसद के पास स्मार्ट फोन हैं व करीब 50 फीसद मोबाइल यूजर्स इंटरनेट पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। मतलब एक टच पर हर जानकारी उपलब्ध। हर पार्टी ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर अलग से पदाधिकारियों की नियुक्ति कर रखी है। फिलहाल तक तो सोशल मीडिया के इस्तेमाल को सबसे ज्यादा भाजपा ने कैश किया है। सोशल मीडिया इंस्टेंट कॉफी की तरह हो गया है, पल भर में सब कुछ तैयार व परिणाम भी तुरंत। सोशल मीडिया एक ऐसा जरिया बन गया है जो पलभर में ही सारी जानकारी इच्छित गंतव्य तक जरूरत के अनुसार पहुंचा रहा है।
सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स की डिमांड बढ़ी
चुनाव में सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल से इसके एक्सपर्ट्स की डिमांड भी बढ़ी है। एक रिपोर्ट के अनुसार राजनीतिक पार्टियां एक्सपर्ट्स को शुरुआती सेलरी 30 से 50 हजार तक दे रहीं हैं। ऐसे में साफ है कि इस क्षेत्र भी में जॉब की संभावनाएं बढ़ी हैं। एक बेहतर एक्सपर्ट की पहचान ये है कि वो सोशल मीडिया को सही से हैंडल करने के अलावा इसके इस्तेमाल के दौरान डिजास्टर मैनजमेंट में भी पारंगत हो।
इंस्टेंट सोशल मीडिया इस्तेमाल के उदाहरण
देखिए कि पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया ने पलभर में हर जानकारी वोटर्स व टारगेट आॅडियंस तक पहुंचाई है। टिकट नहीं मिलने पर रो रहे विधायक रविंदर बलियाला का वीडियो साथ-साथ सब जगह वायरल हो रहा था तो एक ऐसे ही मामले में फरीदाबाद से एमएलए रहे व कैबिनेट मिनिस्टर विपुल गोयल टिकट नहीं मिलने पर भाजपा के खिलाफ ट्विटर पर अपनी भड़ास निकाल रहे थे। समर्थकों को टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस नेता अशोक तंवर का 15 सेकेंड का एक आॅडियो वायरल होता है और कुछ ही देर में लोगों की भारी भीड़ पार्टी कार्यालय के बाहर टिकट बंटवारे को लेकर प्रदर्शन व नारेबाजी कर रही होती है। इतना कुछ होने महज कुछ ही समय लगा और जानकारी आग की तरह फैल गई।
हर बड़े आयोजन में सोशल मीडिया अहम
आपको बता दें कि प्रदेश में जितने भी बड़े राजनैतिक कार्यक्रम या रैली हुई हैं, उनमे सोशल मीडिया की भूमिका बेहद अहम रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गत रोहतक रैली में बीजेपी ने अलग से सोशल मीडिया विंग बनाई और रैली के प्रबंधन, सिटी में आने जाने के रास्तों, नेताओं के आने जानकारी समेत तमाम जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से दी।
इस तरह हो रहा है सोशल मीडिया का इस्तेमाल
सोशल मीडिया में मुख्य रूप से राजनीतिक पार्टियां फेसबुक, वाट्सएप व ट्विटर का इस्तेमाल कर रही हैं। किसी भी पार्टी की संबंधित विंग द्वारा जरूरत के हिसाब से कार्यकर्ताओं, मीडिया के लिए वाट्सएप पर मीडिया ग्रुप बनाया जाता है, जिस पर जानकारी शेयर की जाती है। कहीं किसी भी बड़ी रैली या प्रेस कॉन्फ्रेंस को प्रसारित करने के लिए लाइव लिंक क्रीएट किया जाता है जिस पर संबंधित रैली को घर बैठे लाइव देखा जा सकता है।
विपक्षियों की कमियों पर चोट का जरिया भी बना सोशल मीडिया
चुनावी माहौल में हर पार्टी सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कैश करने में पीछे नहीं है। हर पार्टी में विंग में कुछ लोगों को सिर्फ इस चीज की जिम्मेदारी दी जाती है कि वो विरोधी पार्टी की कमियों को निकाल उनको तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल करें, ताकि खुद की पार्टी को इसका फायदा मिल सके। इसमें आॅडियो, वीडियो या पिक्चर फॉर्मेट में जानकारी आगे फॉरवर्ड की जाती है।
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डॉ. रविंद्र मलिक