इस तरह के कलयुगी गुरु घंटालों से तो आप ऐसे ‘उपदेशों’ की तो उम्मीद ही नहीं कर सकते जो उनके द्वारादिए जा रहे हैं। परन्तु दुर्भाग्यवश आज यही सच्चाई है। वैसे तो जौनपुर के वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्व विद्यालय के उपकुलपति डॉ राजा राम यादव का नाम दिसंबर 2018 कोही उसी समय चर्चा में आ गया था जबकि वे गाजीपुर में एक कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए फरमा रहे थे कि – यदि आप पूर्वांचल यूनिवर्सिटीके छात्र हैं, और आपका कहीं किसी से झगड़ा हो जाए तो रोते हुए मत आना, पीटकर आना,चाहे मर्डर कर के आना। इसके बाद हम देख लेंगे। एकवाइस चांसलर स्तर के पी एच डीगुरु द्वारा अपने कॉलेज के छात्रों को हिंसा का ऐसा पाठ पढ़ाना कि हत्या करने तक के लिए प्रोत्साहित किया जा रहाहो,इस बात की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस उपकुलपति ने अपने ‘कलयुगी उपदेश ‘ से उसी समय लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षितकिया था। बुंदेलखंड के महोबा में जन्मा यह व्यक्ति कोई मामूली शिक्षाविद या अज्ञानी भी नहीं कहा जा सकता। इन्हें दर्जनों अवार्ड व फेलो शिपहासिल हैं तथा पी एच डी भी फिजिक्स में की है।
गुरूजी ने अपने अकादमिक यात्राओं में अमेरिका, कनाडा, इटली, फ्रÞांस, जर्मनी, स्वीडेन, बेल्जियम, आॅस्ट्रिया, स्पेन, फिनलैंड, जापान, सिंगापुर व नेपाल जैसे देशों का भ्रमण किया है तथा भारत के प्रतिनिधि ‘शिक्षाविद’ के रूपमें अपनी ‘ज्ञान वर्षा’ की है। जिस व्यक्ति को हिंसा से इतना प्यार हो कि वह अपने छात्रों को क्षमा,प्रेम व बलिदान सिखाने के बजाए हत्या,और हिंसाका खुला पाठ पढ़ा रहा हो ऐसे ‘गुरु’ के हाथों बच्चों का भविष्य कितना अंधकारमय है इस बात का स्वयं अंदाजा लगाया जा सकता है। दिसंबर 2018 को गाजीपुर में दिए गए यादव के उपरोक्त ‘प्रवचन’ के बाद यदि उनको अनुशासनहीनता व छात्रों के भविष्य केसाथ खिलवाड़ करने के लिए पदमुक्त कर दिया गया होता तो शायद पुन:इस पद की गरिमा पर ग्रहन न लगता। परन्तु ऐसा इसलिए संभव नहीं थाक्योंकि ‘गुरूजी की पहुंच ‘ ऊंचे परिवार तक है। आप न केवल स्वयं संघ प्रचारक के पद पर रहे हैं बल्कि खबरों के अनुसार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ केपूर्व सरसंघ चालक राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैय्या से भी इनके परिवारिक संबंध रहे हैं।
गोया आज के दौर में शायद इन्हें किसी भी पद की गरिमा की चिंता किये बगैर कुछ भी बोलते रहने की पूरी आजादी मिली हुई है। पिछले दिनों एक बार फिर डॉक्टर यादव ने अपने उपकुलपति पद की मयार्दा कोतार तार करते हुए एक भाषण दिया जिसका अति विवादित अंश अक्षरश: गौर फरमाइये- आपने बताया कि -‘जब मैं विद्यार्थी था और ट्रेन से कॉलेजमें महीने दो महीने में जब जाता था -तो रेल में एक अँधा था। आंख का अंधा ,जिसके दोनों आँख नहीं थी। उसके हाथ में एक खंजली थी लेकिन उसकागला इतना सुरीला गला था की केवल एक भजन वह गाता था।
मुझे भजन भी आज तक याद है-अंखियाँ हरि दर्शन को प्यासी -खंजली बजाते हुए रेलके डिब्बे में अँखियाँ हरि दर्शन को प्यासी, जब वह आँख का अँधा सूरदास उस भजन को गाता था तो उसको दो दिन के लिए पैसे एक घंटे के अंदर हीमिल जाते थे। और अगली स्टेशन में वह उतर जाता था। तो आज कल लोग कहते हैं बेरोजगारी बेरोजगारी बेरोजगारी। ऐसा कुछ नहीं है,यह हवाबना दी गयी है दूसरे देशों के द्वारा। हमारे देश के अंदर ऐसे रोजगार हैं जोकि कोई भी व्यक्ति आकर के उस रोजगार को बहुत आसानी के साथ करसकता है। एक खंजली खरीदने में कितना पैसा लगता है?
(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)