-2009-10 से अब तक करनाल टोल पर हुई 2214 करोड़ की वसूली
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
पिछले कुछ वर्षों में देशभर में सड़क मार्ग व्यवस्था पहले की तुलना में काफी बेहतर हुई है। हरियाणा में भी नेशनल हाईवे नंबर 1 पर बड़े पैमाने पर फ्लाईओवर का निर्माण हुआ तो इस हाईवे को नए सिरे से बनाने के अलावा इसको साल दर साल जरूरत के लिहाज से चौड़ा भी किया गया है। लोगों को दी गई बढ़िया सड़क व्यवस्था की एवज में यहां से गुजरने वाले वाहनों को टोल की अदायगी करना पड़ती है। पानीपत से लेकर जालंधर तक नेशनल हाईवे की बात करें तो इस रूट पर यहां मुख्य रूप से तीन टोल पड़ते हैं। पानीपत से जालंधर के बीच करीब 291 किलोमीटर की दूरी है। इन तीनों टोल से बड़े पैमाने पर लाइट व हैवी वाहन गुजरते हैं। इसको लेकर जानकारी में सामने आया है कि 2009-10 से लेकर अब तक यहां से कितना टोल संबंधित कंपनी द्वारा वसूल किया गया है, नियमों की अवेहलना के चलते कुल कितना जुर्माना लगाया गया है और कितने दिन तक कंपनी और सरकार के मध्य टोल वसूली को लेकर कांट्रेक्ट साइन किया गया।
हाईवे के काम में देरी को लेकर कंपनी पर 415.63 करोड़ का जुर्माना
नेशनल हाईवे के चौड़ा करने समेत अन्य काम की मियाद रखी गई थी। इस काम को निर्धारित समय-सीमा में पूरा करना था और ऐसा नहीं करने की स्थिति में जुर्माने का भी प्रावधान था। जानकारी में सामने आया कि कई कारणों के चलते काम में देरी हुई। बार-बार हाईवे का काम बाधित हुआ और समय-सीमा में पूरा नहीं हो पाया। इसके चलते एनएचएआई द्वारा संबंधित कंपनी को 415.63 करोड़ का जुर्माना भी लगाया। बता दें कि हाईवे के काम में देरी को लेकर कई बार सवाल उठे थे, जिसके संबंधित कंपनी की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए थे। जानकारी में ये भी बताया कि कंपनी का एग्रीमेंट तुरंत प्रभाव से 5 मार्च, 2021 को समाप्त कर दिया गया था।
करनाल टोल से 12 साल में 2214 करोड़ की वसूली
बता दें कि पानीपत से जालंधर की तरफ जाते हुए घरौंड़ा कस्बा आता है और ये करनाल जिले का हिस्सा है। यहां टोल बना हुआ है। इसी कड़ी में सामने आया है कि साल 2009-10 से लेकर अब तक कुल 22 अरब, 14 करोड़ और 23 लाख की वसूली की गई है। इस लिहाज से हर साल करीब 200 करोड़ का टोल यहां से आने-जाने वाले वाहनों से लिया गया है। इन वर्षों में सबसे ज्यादा करीब 300 करोड़ टोल 2019-20 में वसूला गया तो सबसे कम 2009-10 में करीब 102 करोड़ की राशि उगाही गई।
शंभू बॉर्डर से करीब 900 करोड़ की वसूली
इसी बीच पानीपत से जालंधर जाते हुए शंभू टोल बैरियर आता है जो अंबाला जिले में हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर पड़ता है। यहां से भी रोज हजारों वाहन गुजरते हैं। यहां से गुजरने वाले वाहनों से उपरोक्त अवधि में 891.57 करोड़ की राशि बतौर टोल संबंधित कंपनी द्वारा वसूली की गई है। यहां से सबसे ज्यादा करीब 131 करोड़ रुपए साल 2019-20 में वसूले गए थे तो सबसे कम 2009-10 में लिए गए थे। हालांकि यहां से करनाल टोल की तुलना में कम वाहन गुजरते हैं तो यहां से बतौर टोल ली गई राशि कम है।
लाडोवाल टोल से 1537.65 करोड़ रुपए वसूले
इसके बाद जालंधर की तरफ जाते हुए एक और टोल पड़ता है, वो है लाडोवाल टोल जो पंजाब में पड़ता है और यहां भी ट्रैफिक का काफी दबाव है। उपरोक्त इंगित अवधि में यहां से संबंधित कंपनी द्वारा 1537.65 करोड़ की राशि बतौर टोल टैक्स ली गई है। साल 2019-20 में सबसे ज्यादा 205 करोड़ की टोल उगाही यहां से हुई तो सबसे कम करीब 70 करोड़ साल 2009-10 में यहां से लिए गए। इस टोल पर शंभू बैरियर टोल प्लाजा की तुलना में कहीं ज्यादा राशि उगाही गई है।
23 जनवरी-2006 से 20 वर्ष तक पानीपत टोल पर उगाही होगी
इसके साथ ये भी बता दें कि पानीपत फ्लाईओवर से आगे एक टोल बनाया गया है जोकि अन्य से अलग है। इस टोल पर जो उगाही होती है वो फ्लाईओवर के चलते है। लोगों में एक ये भी जिज्ञासा रहती है कि संबंधित कंपनी का यहां टोल वसूलने का अनुबंध कब तक है। इस फ्लाईओवर के निर्माण करने का काम लार्सन एंड टूबरो (एलएंडटी) कंपनी को दिया गया था। कंपनी 23 जनवरी 2006 से लेकर 20 साल तक ( जैसा की अनुबंध में है) टोल रिकवरी के लिए अधिकृत है।
पानीपत-जालंधर नेशनल हाईवे पर आए कुल खर्च
दिल्ली से पानीपत की दूरी करीब 95 किलोमीटर है। इससे आगे पानीपत-जालंधर का राजमार्ग का हिस्सा है वो करीब 291 किलोमीटर है जिसमें हरियाणा के करनाल, कुरुक्षेत्र और अंबाला जिले आते हैं। नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अनुसार निर्माण का संभावित खर्च 2747.50 करोड़ था तो वहीं इसको बनाने वाले कंपनी एलएंडटी ने इसका संभावित बजट 4518 करोड़ रखा था। इसके बाद सीडीआर के अनुसार रिवाइज की गई संभावित कोस्ट 5572.50 करोड़ है। पूरे मामले को लेकर पानीपत के रहने वाले संदीप राठी द्वारा नेशनल हाईवे अथॉरिटी के सामने एक याचिका दायर की गई थी और इसमें ये जानकारी रिपोर्ट हुई।
कई राज्यों के वाहन गुजरते हैं करनाल टोल से
उपरोक्त तीनों टोल की बात करें तो सबसे ज्यादा वाहन करनाल टोल से गुजरते हैं। पानीपत से जम्मू -कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, लेह लद्दाख और बिहार समेत देशभर के कई राज्यों के वाहन यहां से जाते हैं और अन्य दो टोल की तुलना में ये संख्या कहीं ज्यादा है। इसी के चलते यहां पर टोल रिकवरी कहीं ज्यादा है।
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