GBS Updates In Maharashtra, (आज समाज), मुंबई: महाराष्ट्र में गुइलैन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से अब तक 12 लोग काल का ग्रास बन चुके हैं और 15 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग (Maharashtra Health Department) के अनुसार राज्य में अब तक 225 संदिग्ध केस सामने आ चुके हैं। नौ जनवरी को पहला मामला सामने आया था। 225 संदिग्धों में से 197 में जीबीएस की पुष्टि हुई है। 24 का इलाज चल रहा है जबकि 179 मरीज स्वस्थ हुए हैं।

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12 मौतों में 6 का कारण जीबीएस

प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 12 लोगों की मौत में 6 का कारण जीबीएस है और छह की मौत की वजह अभी संदिग्ध है। विभाग ने बताया है कि सभी मामले पुणे निगम व पुणे नगर निगम के अंतर्गत आने वाले पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम, पुणे ग्रामीण व अन्य दूसरे जिलों से हैं। प्रशासन के कर्मचारी इन जिलों के लगभग 90 हजार घरों की दौरा भी कर चुके हैं। इन इलाकों से पानी के सैंपल केमिकल और बायोलॉजिकल एनालिसिस के लिए लैब भेजे गए। 144 वाटर सोर्स में संक्रमण की बात सामने आई हैं।

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बहुत महंगा है गुइलैन-बैरे सिंड्रोम का उपचार

बता दें कि गुइलैन-बैरे सिंड्रोम का उपचार बहुत महंगा है। चिकित्सकों के अनुसार जीबीएस के रोगियों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन लगते हैं और इसका मरीज को पूरा कोर्स करना पड़ता है। प्राइवेट हॉस्पिटल में 20 हजार रुपए में जीबीएस का एक इंजेक्शन लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गुइलैन-बैरे सिंड्रोम से ग्रस्त 80 फीसदी रोगी हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद छह माह में बिना किसी सपोर्ट चलने-फिरने लगते हैं। हालांकि कई मामलों में रोगी को एक वर्ष अथवा उससे ज्यादा टाइम भी चलने-फिरने में लग जाता है।

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