संदिग्ध ब्लैक लिस्टेड कंपनी को ठेका, अधिकारियों की भूमिका पर उठा बड़ा सवाल
चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीरो टॉलरेंस के सपने को करनाल स्थित महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारी चकनाचूर करने में लगे हुए हैं । इतना ही जिस विश्वविद्यालय का प्रधानमंत्री से निर्धारित समय से 3 साल बाद शिल्यान्यास करवाया गया उसकी टेंडर प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।
करनाल स्थित महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय में टेंडर प्रक्रिया में बड़े स्तर पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार बू आ रही है। इसमें विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार , इंजीनियरिंग हेड और मेकोन के प्रोजेक्ट हेड की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इन अधिकारियों ने मिलीभगत कर एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी एमएस बद्रीराय को ठेका दिलाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में लगातार हेरफेर किया।
इन प्रक्रियाओं से उठ रहे सवाल
टेंडर प्रक्रिया में 4 साल की देरी, फिर भी नियमों की अनदेखी
बताया जा रहा है कि कई बार बदले गए टेंडर के मानक, अपने “मनपसंद” ठेकेदार को फायदा पहुंचाने की गई।
विश्वविद्यालय ने मेकॉन को प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट और ईए (एग्जीक्यूटिव एजेंसी) के रूप में कार्य सौंपा था।
निर्माण कार्य 3 साल में पूरा होना था, लेकिन 4 साल बाद (31 जुलाई 2024) वर्क ऑर्डर जारी हुआ।
टेंडर प्रक्रिया में जानबूझकर देरी क्यों
अधिकारियों ने हर साल टेंडर जारी किया और फिर किसी न किसी बहाने से रद्द कर दिया। हर बार पात्रता मानदंड में ढील दी गई, ताकि विशेष कंपनियों को ठेका मिल सके।
ब्लैकलिस्टेड कंपनी को टेंडर
एमएस बद्रीराय को मेघालय में असफल होने के बावजूद भी करनाल में विश्वविद्यालय का ठेका दे दिया गया जिससे बड़ा सवाल उठना स्वाभाविक है।
एमएस बद्रीराय एंड कंपनी को मेघालय में विधानसभा भवन निर्माण का ठेका मिला था। कुछ ही दिनों में इमारत ध्वस्त हो गई, कंपनी ब्लैकलिस्ट कर दी गई।
अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा मेकॉन, एमएस बद्रीराय एंड कंपनी को तकनीकी रूप से अयोग्य ठहराने के बावजूद, उन्होंने इस कंपनी को योग्य ठहराने के लिए पत्र जारी किया। पात्रता मानकों को बार-बार बदली गयी।
इसके अलावा इंजीनियरिंग विंग के प्रमुख की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि इन्होंने एमएस बद्रीराय एंड कंपनी को ठेका दिलाने के लिए दबाव बनाया।
विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी टेंडर प्रक्रिया में मनमानी करने के आरोप लगे।