Sixth Day Of Shrimad Bhagwat Katha : धर्म रक्षा हेतु संस्कार की परम आवश्यकता होती है : राधे राधे महाराज

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Sixth Day Of Shrimad Bhagwat Katha
Sixth Day Of Shrimad Bhagwat Katha

Aaj Samaj (आज समाज), Sixth Day Of Shrimad Bhagwat Katha , पानीपत :  हुडा सेक्टर 11 -12  में वर्मा परिवार द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिवस पर भागवत प्रवक्ता भागवत रसिक प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित राधे-राधे महाराज ने व्यास मंच से भागवत कथा के प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि धर्म के द्वारा पुण्य की पूंजी बढ़ाई जा सकती है। निर्मल और पवित्र मन से भक्ति करने से भगवान के चरणों में स्थान पाया जा सकता है। पंडित राधे राधे महाराज ने कहा कि जब प्यास लगती है, तभी पानी का महत्व समझ में आता है, ठीक उसी प्रकार भगवान के श्रीचरणों में स्थान प्राप्त करने के लिए हृदय से प्रभु को स्मरण करने की आवश्यकता है। किसी ने भगवान को देखा तो नहीं है, लेकिन भगवान की कथा सुनने मात्र से ही मन के सारे विकार नष्ट हो जाते हैं।

 

 

धर्म के द्वारा पुण्य की पूंजी बढ़ाई जा सकती है : राधे राधे महाराज

 

जीवन में बिना पुण्य के सुख नहीं

पंडित राधे-राधे महाराज ने व्यास मंच से कहा की जिसे भक्ति का एक बार स्वाद मिल गया, वह भगवान की भक्ति में दिन-रात लीन हो जाता है। जिस क्षण व्यक्ति हृदय से भगवान से जुड़ जाता है, उसी क्षण से वह प्रसन्नचित हो जाता है। इसीलिए कहा गया है कि भगवान के श्रीचरणों में ही सारे समस्याओं का हल है। पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा की जैसे जल का आधार समुद्र है, ठीक उसी तरह जीवों का आधार परमात्मा है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए केवल समर्पण की आवश्यकता है। जीवन को सार्थक बनाने के लिए सत्संग से जुड़ना अनिवार्य है, क्योंकि हमारे सत्कर्म ही हमारी रक्षा करते हैं। हम धर्म से पुण्य की पूंजी बढ़ा सकते हैं, लेकिन पाप की पूंजी तो अपने आप बढ़ती है। जीवन में बिना पुण्य के सुख नहीं है।

भागवत मोक्षदायिनी गंगा के समान

पंडित राधे राधे महाराज ने कहा कि भक्ति सिर्फ गंगा स्नान और मंदिर में पूजा करना ही नहीं है, बल्कि ईश्वर का भजन करना, सत्कर्म करना, पुत्र, पति, स्वामी, समाज व मानवता की सेवा करना भी भक्ति है। श्रीमद्भागवत कथा के तहत नैमिषारण्य प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि करीब छह हजार वर्ष पूर्व वहां धर्म सम्मेलन हुआ था। शौनक ऋषि ने एक हजार वर्ष तक चलने वाले अनुष्ठान का आयोजन किया था। कलियुग में लंबे अनुष्ठान का महत्व नहीं है, क्योंकि चूक एवं त्रुटि की संभावनाएं अधिक हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के द्रविड़ प्रदेश में भक्ति का जन्म हुआ, महाराष्ट्र में युवा हुई और गुजरात में वृद्धा हो गई। उन्होंने कहा कि भगवान को प्राप्त करने का सरल तरीका भक्ति है। इस अवसर पर सेशन जज शैलजा गुप्ता पधारी पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी के पति सुरेंद्र रेवड़ी को व्यास मंच से प्रवीण वर्मा एवं विशाल वर्मा ने सर्वप्रथम व्यासपीठ पूजन करवाया सभी को व्यास मंच से सम्मानित किया। सुरेश वर्मा पूर्व मेयर को भी व्यास मंच से सम्मानित किया गया। सुरेंद्र रेवड़ी ने कहा कि भागवत मोक्षदायिनी गंगा के समान है। हमेशा जनमानस कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। भागवत कथा सत्संग प्रवचन में अपनी आहुति देने चाहिए।

जीवन में शुभ-अशुभ कार्यों का प्रतिफल अवश्य भोगना पड़ता है

इस अवसर पर श्री अवध धाम मंदिर के परमाध्यक्ष दाऊजी महाराज पधारे दाऊजी महाराज ने आयोजन करने पर वर्मा परिवार को आशीर्वाद दिया। एवं कहा कि इस प्रकार के मंगल कार्य नगर के अंदर सदैव आयोजित होने चाहिए ताकि धर्म की स्थापना की जा सके। दाऊ जी महाराज ने कहा कि भगवान अपने भक्तों में अमीर, कुलीनता, वृद्ध, बालक, मनुष्य और जानवर का भेद नहीं करते। गरीब सुदामा, बालक प्रहलाद, माता सेवरी और गजराज पर कृपा करके उन्होंने संसार को भक्ति का संदेश दिया है। राधे राधे महाराज ने कहा कि जीवन में शुभ-अशुभ कार्यों का प्रतिफल अवश्य भोगना पड़ता है। जाने-अनजाने में अगर कोई पाप होता है, तो संत के पास व तीर्थ में जाकर उसका मार्जन किया जा सकता है। लेकिन तीर्थ और संतो के यहां किए गए अपराध का मार्जिन संभव नहीं है। भक्ति और भगवान के आश्रय में रहकर सुकर्म करते हुए अपने अपराधों के प्रभाव को कम किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता है।

संत-सद्गुरु के प्रभाव से प्रारब्ध की तीक्ष्णता को कम किया जा सकता है

बारिश में छाता या बरसाती से और आंधी में दिये को शीशा से बचाव किया जा सकता है, लेकिन बारिश एवं आंधी को रोका नहीं जा सकता है। भक्ति और सत्कर्म का प्रभाव यही होता है। प्रारब्ध या होनी का समूल नाश नहीं होता। प्रारब्ध को भोगना ही पड़ता है। दाऊ जी महाराज ने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि प्रारब्ध अवश्यमेव भोक्तव्यम। ईश्वर की भक्ति अथवा संत-सद्गुरु के प्रभाव से प्रारब्ध की तीक्ष्णता को कम किया जा सकता है। इस अवसर पर सेशन जज सैलजा गुप्ता, सुरेंद्र रेवड़ी, सुरेश वर्मा पूर्व मेयर, प्रवीण वर्मा, विशाल वर्मा, राधे श्याम वर्मा, दर्शन वाबेजा, इंद्रजीत कथूरिया, एमजेआर संस्थान के प्रबंधक रविंद्र सैनी, प्रमोद आहूजा, श्रीराम वर्मा, जज दीपक्षी वर्मा, यश शर्मा, निरंजन पाराशर, अमित गुप्ता, हिमांशु शर्मा आदि मौजूद रहे।