
- वर्ष 2015 में पीएम मोदी ने शुरू किया था बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान,बिना एमसीटीएस नंबर के अल्ट्रासाउंड करना गैर कानूनी
(Sirsa News) सिरसा। लिंगानुपात के मामले में सिरसा जिला प्रदेशभर में नौवें स्थान पर आ गया है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों में सिरसा का लिंगानुपात 922 दर्ज किया गया। पहले स्थान पर यमुनानगर आया है। यमुनानगर का लिंगानुपात 995 है। लिंगानुपात में दूसरे नंबर फतेहाबाद 992 और तीसरे नंबर पर झज्जर 976 है। बता दें कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में पानीपत की धरती से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का आगाज किया था। उसके बाद से प्रदेश में लिंगानुपात के सुधार की पहल शुरू हुई थी।
वर्ष 2015 व 2016 में लिंगानुपात में सिरसा टॉप रहा था। वर्ष 2019 में और 2018 में भी सिरसा नंबर एक पर रहा। हालांकि 2020 की शुरूआत में लिंगानुपात के मामले में सिरसा कुछ पिछड़ गया। इसके बाद वर्ष 2021 में सिरसा जिला फिर से लिंगानुपात में टॉप रहा।
मां व शिशु ट्रैकिंग प्रणाली नंबर के बिना अल्ट्रासाउंड करना गैरकानूनी
वर्ष 2021 में जिले में 1000 लडक़ों के पीछे 947 लड़कियों का जन्म हुआ। बता दें कि जिला में अब प्रजनन और बाल स्वास्थ्य आईडी और मां व शिशु ट्रैकिंग प्रणाली नंबर के बिना अल्ट्रासाउंड करना गैरकानूनी किया गया है। ऐसे में अब अल्ट्रासाउंड केंद्रों को किसी भी गर्भवती का अल्ट्रासाउंड करने से पहले आरसीएच व एमसीटीएस नंबर लेना अनिवार्य किया गया है। यह नियम सरकारी व निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर लागू कर दिया गया है।
गर्भवतियों को गर्भधारण के तीन माह के भीतर आरसीएच आईडी और मां व एमसीटीएस में नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पंजीकरण करवाना होगा, ताकि स्वास्थ्य विभाग उन्हें ट्रैक कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ दे सके और उनकी संस्थानों में डिलीवरी करा सकें।
आज तक पीएनडीटी के 70 से अधिक केस दर्ज
बेटी बचाओ अभियान के तहत जिला स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2014 से लेकर आज तक पीएनडीटी एक्ट के तहत 70 से अधिक केस दर्ज किए । इनमें से 23 केस पड़ोसी राज्य राजस्थान व 13 पंजाब में दर्ज हुए। 19 केस हरियाणा के अंदर दर्ज करवाए। एमटीपी एक्ट के तहत स्वास्थ्य विभाग ने 37 से अधिक केस दर्ज किए हैं। कई मामलों में आरोपियों को सजा भी हो चुकी है। जबकि कुछ ने एचसी में अपील कर रखी है।
सूचना देने वाले को एक लाख का ईनाम
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जिला में लिंगानुपात में बहुत सुधार हुआ है। स्वास्थ्य विभाग अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है। लिंग जांच की सूचना देने वाले को एक लाख रुपये इनाम दिया जाता है और सूचना देने वाले की पहचान पूरी तरह से गुप्त रखी जाती है।
स्वास्थ्य विभाग हमेशा प्रयास करता रहता है कि लोग बेटा-बेटी में फर्क नहीं समझें। इसके लिए समय-समय पर जागरूकता शिविर लगाए जाते हैं। शिक्षित लोग बेटा-बेटी में फर्क नहीं समझते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी अब बेटा-बेटी में फर्क नहीं समझते हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में काफी मेहनत की है।
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