(Sirsa News) ऐलनाबाद। शहर के वार्ड नंबर 9 में स्थित प्राचीन श्रीराम मंदिर के प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा में श्री भरत मुनि जी उदासीन महाराज (श्री पंचमुखी मंदिर वाले) ने श्रद्धालुओं पर कथामृत की वर्षा करते हुए नन्दोत्सव से कथा प्रारम्भ की। उन्होंने कहा कि दशम स्कन्थ भगवान का हृदय है। इसमे भगवान श्री कृष्ण के जन्म का प्रसंग, उनकी मधुर लीलाओं का मनमोहक वर्णन हुआ है।
भगवान श्री कृष्ण का अवतार आनन्द का प्रतीक
यह स्कन्ध सबसे बड़ा है। इसमें कथा व्यास महन्त भरतमुनि जी ने भगवान् के जन्म, पूतना वध, शकट भंजन, तृणावर्त उद्धार, बकासुर वध, अघासुर वध, ब्रह्माजी का मोह, कालिया नाग से यमुना को मुक्त कराना, वेणुगीत चीरहरण एवं गिरिराज धारण लीला तक की लीलाओं का आस्वादन कराया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का अवतार आनन्द का प्रतीक है। जीवन में आनन्द पूतना-वासना (इन्द्रियाध्यास) का नाश करके आयेगा।
हम तृणावर्त तृण-सतोगुण, रज-रजोगुण, अंधकार-तमोगुण अर्थात हम त्रिगुणातीत हो जायें तभी जीवन मे आनन्द का प्रकाश होगा। जब दम्भ रुपी – बकासुर व पाप रुपी अधासुर का विनाश हो अर्थात दम्भ पाखण्ड से रहित निष्पाप जीवन हो जाए तभी जीवन का आनंद आएगा। उन्होंने कहा कि “कालीनाग नथन लीला” इन्द्रियों को दमन करने की लीला है। इन्द्रियों का दास कभी आनन्दित नहीं रह सकता। इस मौके पर भारी संख्या में महिलाएं व पुरुष कथा सुनने के लिए मौजूद थे।
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