Sirsa News : एससी-ए और एससी-बी के वर्गीकरण को लेकर अपने वायदे को पूरा करे भाजपा सरकार : पूर्णचंद पवार

0
265
BJP government should fulfill its promise regarding classification of SC-A and SC-B: Purnachandra Pawar
(Sirsa News) हिसार। हरियाणा अनुसूचित जाति वंचित वर्ग (डीएससी) की समस्त जातियों के सामाजिक संगठनों के प्रबुद्ध लोगों की बैठक स्थानीय राजगढ़ रोड स्थित संत कबीर छात्रावास में रिटायर्ड एसपी पूर्णचंद पवार की अध्यक्षता में हुई। बैठक में हरियाणा में अनुसूचित जातियों को सरकारी नौकरियों में मिलने वाले 20 प्रतिशत आरक्षण का 50 प्रतिशत भाग अनुसूचित जाति वंचित वर्ग को देने की मांग उठाई गई।
इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए रिटायर्ड एसपी पूर्णचंद पवार, रिटायर्ड एडीसी रोशन लाल व प्रधान जोगी राम खुंडिया ने बताया कि हरियाणा में भजनलाल सरकार द्वारा अनुसूचित जातियां को सरकारी नौकरियों में मिलने वाले 20 प्रतिशत आरक्षण का आधा हिस्सा चमार जाति को तथा आधा हिस्सा वाल्मीकि, धानक, खटीक, बाजीगर, ओढ़, डूम, सांसी, बावरिया व सिलिगर आदि 36 जातियों को एससी-ए और एससी-बी वर्गीकरण करके वर्ष 1994 में लागू किया था। उन्होंने बताया कि 2006 में कांग्रेस की तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस वर्गीकरण को खत्म कर दिया था। उन्होंने बताया कि भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में एससी-ए और एससी-बी के वर्गीकरण को उचित मानते हुए प्रदेश में भाजपा सरकार बनने पर इसको बहाल करने का वायदा किया था, लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद अभी तक इस वायदे को पूरा नहीं किया गया है, जबकि हरियाणा में पिछड़ा वर्ग में बीसी-ए और बीसी-बी का वर्गीकरण लागू है।

भाजपा सरकार ने अपना वायदा  पूरा नहीं करके अनुसूचित जाति वंचित वर्ग (डीएससी) की समस्त जातियों के साथ वायदाखिलाफी की

रिटायर्ड एसपी पूर्णचंद पवार व रिटायर्ड एडीसी रोशन लाल ने बताया कि हरियाणा की भाजपा सरकार ने अपना वायदा  पूरा नहीं करके अनुसूचित जाति वंचित वर्ग (डीएससी) की समस्त जातियों के साथ वायदाखिलाफी की है। उन्होंने कहा कि हमारी भाजपा सरकार से केवल एक ही मांग है कि अनुसूचित जातियों को मिल रहे आरक्षण को एससी-ए और एससी-बी वर्गीकरण करके बराबर-बराबर बांटकर तुरंत लागू किया जाए। उन्होंने बताया कि इसको लागू करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है। इस मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएस लोढ़ा की तीन सदस्यीय पीठ ने 14 फरवरी 2014 में यह फैसला सुनाया था कि ईवी चनैईया केस तथ्यों पर आधारित नहीं है और राज्य सरकार चाहे तो वर्गीकरण करके दलित जातियों के लोगों को आरक्षण का लाभ दे सकती हैं। इसी प्रकार वर्ष 2020 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने यह निर्णय दिया था कि राज्य सरकार अपने स्तर पर आरक्षण में वर्गीकरण करके वंचित वर्ग के लोगों को लाभ दे सकती है। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा सरकार ने 15 अगस्त 2024 तक इसको लागू नहीं किया तो अनुसूचित जाति वंचित वर्ग के लोग अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में बड़ा सम्मेलन बुलाकर भाजपा सरकार के खिलाफ बड़ा फैसला लेंगे, जिसका खामियाजा आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ेगा।
इस अवसर पर प्रधान जोगीराम खुंडिया, रिटायर्ड प्रिंसीपल ऋषिपाल बेदी, रघबीर सिंह बडग़ुज्जर व संजीव उझाणा सहित समाज के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।