Silkyara Tunnel Rescue Over: सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूर बाहर निकाले, 24 घंटे की निगरानी में अस्पताल में रखे

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Silkyara Tunnel Rescue Over
सुरंग से बाहर आने पर मजदूरों से मिलते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।

Aaj Samaj (आज समाज), Silkyara Tunnel Rescue Over, देहरादून: उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल में दिवाली के दिन से फंसे 41 मजदूरों को कल देर रात बाहर निकाल लिया गया। रैट माइनर्स की टीम ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता पाई। पहले आगर मशीन से सुरंग में पाइप डाला जा रहा था, लेकिन लक्ष्य से 12 मीटर पहले ही बाधाएं आने की वजह से मशीन काम नहीं कर पाई। इसके बाद रैट माइनर्स की टीम को बुलाया गया और उन्होंने  श्रमिकों को बाहर निकालने में सफलता हासिल की।

  • रंग लाई बचाव टीम की मेहनत व बाबा बौखनाग की कृपा

24 घंटे की चिकित्सा निगरानी में रखे गए हैं श्रमिक

सूरज की रोशनी या ताजी हवा के बिना एक बंद जगह में 17 दिन फंसे होने के कारण सभी मजदूरों को चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 24 घंटे की चिकित्सा निगरानी में रखा गया है। अस्पताल में 41 बिस्तरों का एक अलग खंड स्थापित किया गया है। सुरंग से बाहर आने पर मजदूरों को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गले लगाया। साथ ही उनके परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं था।

टनल के बाहर, घरों में परिजनों ने मनाया जश्न

कई पीड़ित मजदूरों के पारिवारिक सदस्य मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने पटाखे फोड़कर जश्न मनाया। मजदूरों के घरों में भी उनके परिजनों के चेहरे पर राहत और खुशी छा गई। घरों पर भी परिवार वालों ने जमकर जश्न मनाया और अपने प्रियजनों को वापस लाने के लिए सरकार का तहेदिल से धन्यवाद किया। लोग श्रमिकों को इतने लंबे समय तक सुरंग के अदंर सुरक्षित रखने के लिए उत्तरकाशी के बाबा बौखनाग का भी आभार जता रहे हैं। उनका मानना है कि बाबा बौखनाग ने ही 17 दिन तक टलन के भीतर मजदूरों की रक्षा की और उनकी कृपा से ही मजदूर सही सलामत बाहर आए हैं।

12 नवंबर को ढह गया था सुरंग का एक हिस्सा

बता दें चार धाम प्रोजेक्ट के तहत उत्तरकाशी में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा सुरंग बनाई जा रही है। 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था जिस कारण मजदूर फंस गए थे। हादसे के बाद से ही तमाम राहत दल व कर्मचारी मजदूरों के बचाव में जुट गए थे। 20 से ज्यादा राहत एजेंसियों ने मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कई प्रयास किए लेकिन कई राहत के अवरोधक के चलते सफलता नहीं मिल पा रही थी।

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