Aaj Samaj (आज समाज), Shrimad Bhagwat Katha, मनोज वर्मा, कैथल:
इस्कॉन कुरुक्षेत्र और इस्कॉन प्रचार समिति कैथल द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन पंडाल भक्तों से खचाखच भरा हुआ था। कथा व्यास साक्षी गोपाल दास ने भगवान श्री कृष्ण के मीठे-मीठे भजन सुना कर सभी भक्तों को भाव विभोर कर दिया।
सभी भक्त श्रद्धा के साथ मीठे मीठे भजनों पर थिरक्कने लगे। उन्होंने कृष्ण भक्ति की महिमा बताते हुए कहा कि बहुत लोग भक्ति करने का प्रयास करते हैं, लेकिन लाखों में से कोई एक ही भगवान श्री कृष्ण को तत्व से जान पता है। उन्होंने श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का वर्णन करते हुए बताया कि जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तब नंद महाराज का हृदय आनंद से भर गया और उन्होंने 20 लाख गायों को सजाकर ब्राह्मणों को दान में दी। हमारा शरीर भी भगवान का मंदिर है और इसमें परमात्मा हमारी आत्मा के साथ रहते हैं।
हमारे शास्त्रो में वैष्णव तिलक की बहुत महिमा है : साक्षी गोपाल दास
इसलिए हमें अपने शरीर को शुद्ध रखना चाहिए और नहाने के पश्चात इसे शुद्ध करने के लिए वैष्णव तिलक लगाना चाहिए। जो व्यक्ति गले में कंठी और वैष्णव तिलक लगा कर रखता है उसे कभी यमराज के दूत छूना तो क्या देखते भी नहीं ऐसा शास्त्रों में लिखा हुआ है। जब हम तिलक लगाते हैं कंठी धारण करते हैं तब हमें नियमों का पालन करना चाहिए जैसे शराब नहीं पीनी चाहिए, जुआ नहीं खेलना चाहिए। हमारे शास्त्रो में वैष्णव तिलक की बहुत महिमा है। यदि हम मनुष्य जीवन में तपस्या नहीं करेंगे तो मनुष्य और पशु में कोई अंतर नहीं रह जाता। भगवान का नाम जप करना ही सबसे बड़ी तपस्या है। कथा तो पशु भी सुन सकता है लेकिन मन से श्रवण करना और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करना ऐसा गुण केवल मनुष्य में ही है। जब हम भगवान के नाम का चिंतन करेंगे उनका नाम जप करेंगे तभी हम इस कलयुग से छुटकारा पा सकेंगे।
श्रीमद् भागवत कथा सुनने के पश्चात भी अगर कोई मनुष्य श्री कृष्ण भक्ति में स्वयं को नहीं लगाता तो इसका अर्थ है कि ना तो उसने श्रवण किया है और ना ही उसने पढ़ा है। प्रभु जी ने कलयुग के गुण दोष का वर्णन करते हुए बताया कि कलि तो दोषों का खजाना है। कलि में अगर 100 अवगुण है तो एक गुण भी है और वह यह है कि कलयुग में केवल भगवान के नाम का जाप व कीर्तन करने से ही इसके प्रभाव से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि दुर्लभ मानव जन्म सत्संग अर्थात यह मानव योनि पाना बहुत दुर्लभ है। मनुष्य योनि केवल भगवान की कृपा से ही प्राप्त हो सकती है। इस प्रकार एक भौतिक पिता यह नहीं चाहता कि उसका पुत्र जेल में सडे, ऐसे ही भगवान भी नहीं चाहते कि उसका बच्चा संसार रूपी जेल में सडे। भगवान श्री कृष्ण से दयालु इस सृष्टि में कोई नहीं है। जब जीव भगवान श्री कृष्ण की सेवा करता है, भक्ति करता है, जप करता है तो माया-देवी स्वयं उसकी सेवा करती है।
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर मनदीप सिंह एडवोकेट, वीरेंदर सतीजा, प्रधान, नई सब्ज़ी मंडी, कैथल, डॉ चावला, ध्रुव शोरेवाला ने ज्योति प्रचंड करवा कर कथा का शुभारंभ करवाया। साथ में दीपक अग्रवाल, राज गुलाटी, अमित गर्ग, संजय वाही, भारत मदान (प्रेस सचिव), आशीष गर्ग, पंकज शर्मा, श्यामलाल वर्मा, यशपाल धीमान, हरिदर्शन, व अन्य सभी मेंबर्स मौजूद थे।
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