Shrimad Bhagwat Katha 2nd Day : मनुष्य शरीर से कर्म करना ही भागवत सत्संग : पंडित राधे राधे महाराज

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Shrimad Bhagwat Katha 2nd Day
Shrimad Bhagwat Katha 2nd Day

Aaj Samaj (आज समाज),Shrimad Bhagwat Katha 2nd Day, पानीपत :  प्रसिद्ध समाजसेवी स्वर्गीय सुनील वर्मा की 25 वीं पुण्यतिथि एवं मानव जनकल्याण एवं जनकल्याण शांति हेतु 11-12 सेक्टर हुडा में वर्मा परिवार के सौजन्य से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा की बुधवार को द्वितीय दिवस पर प्रधान विशाल वर्मा एवं श्रीराम वर्मा ने सर्वप्रथम व्यासपीठ पूजन किया। व्यास पूजन पूजन के उपरांत भागवत जी की मंगल आरती करी समस्त वर्मा परिवार ने आए हुए कथा स्मरण करने परीक्षित स्वरूप श्रद्धालुओं का पटका एवं माला पहनाकर स्वागत किया। विशाल वर्मा ने कथा में पधारे हुए सभी श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया।

  • अपने धर्म की स्थापना करना और धर्म के लिए प्राण न्यौछावर करना सच्चा सत्संग : राधे राधे महाराज  

भागवत भी हमें जनमानस के कल्याण का रास्ता दिखाती है

इस अवसर पर प्रसिद्ध कथावाचक पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा कि सच्चा कर्म वही है, जो लोगों की सेवा में काम आए लोगों की सेवा करना ही सच का सत्संग होता है। जब तक आप जनमानस के कल्याण की बात नहीं कहेंगे तब तक आप किसी भी सत्संग में चले जाएं उसका फल आपको प्राप्त नहीं होगा। मानव कल्याण करना एवं मानव कल्याण के रास्ते पर चलना ही असली भागवत है। भागवत भी हमें जनमानस के कल्याण का रास्ता दिखाती है, इसलिए उसको भागवत कहा गया है, भागवत वही जिसमें सब का भाग हो सब का हिस्सा हो। राधे-राधे महाराज ने विकास मंच से आह्वान किया कि अपने धर्म की रक्षा के लिए यदि प्राणों की भी निछावर हो जाए तो भी निष्ठावान एवं कर्तव्य पथ पर चलते हुए अपने प्राण का निछावर करना भी सच्चा धर्म कहलाता है, क्योंकि यदि धर्म नहीं बचा तो फिर सत्संग का क्या लाभ।

 

 

Shrimad Bhagwat Katha 2nd Day
Shrimad Bhagwat Katha 2nd Day

सभी को इस मास में सत्संग सिमरन करना चाहिए

राधे राधे महाराज ने कहा कि पुरुषोत्तम मास अपने आप में स्वाम ही भगवान विष्णु ही है। सभी को इस मास में सत्संग सिमरन करना चाहिए। भागवत कथा यज्ञ में आहुतियां देकर पुण्य प्राप्त करना चाहिए। सत्संग प्रसंग पर चर्चा करते हुए प्रसिद्ध कथा वाचक भागवत रसिक पंडित राधे-राधे महाराज ने व्यास मंच से कहा कर्म का बोध केवल सत्संग ही करा सकता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णन आया है कर्म के बिना मनुष्य विचाराधीन रहता है, केवल विचार की दुनिया के अंदर भूला भटका जा इधर उधर का चिंतन करता हुआ अपने आप को खो देता है। यदि हम कर्म के अनुसार अपने जीवन को नहीं व्यतीत करते तो समझो यह वही बात है जिस प्रकार से बिना घास की कोई हिरण चारावहां में चर रहा हो।

कर्म ही धर्म की प्रथम सीढ़ी

पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा के कर्म के बिना धर्म की कल्पना करना निरर्थक है क्योंकि कर्म ही धर्म की प्रथम सीढ़ी है धर्म करने के लिए भी पहले हमें कर्म करना पड़ेगा यद्यपि शास्त्रों में धर्म की भूमिका का विस्तृत वर्णन है। पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा कि हम सब कर्म के बंधन में बंधे हुए और कर्म के बंधनों में जो व्यक्ति बंद कर सत्कर्म करता है भक्ति करता है आराधना करता है, वही धार्मिक होकर प्रभु को प्राप्त कर सकता है, पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा की नेता अभिनेता साधु सन्यासी सन्यासी ग्रस्त सभी लोग किसी न किसी रूप में कर्म के बोध से बंधे हुए सभी ने महाराज से आर्शीवाद लिया। इस अवसर पर प्रधान विशाल वर्मा,प्रवीण वर्मा नगर पार्षद शकुंतला गर्ग, पं निरंजन पाराशर, श्रीराम वर्मा, हरीश बडेरा सुशील सहगल, सुभाष वर्मा, नवीन वर्मा, विकास वर्मा, दीपक, सुभाष गर्ग, डॉ रमेश चुग, अशोक नारंग, राज ओबेरॉय, अमित मक्कड़, नीना ग्रोवर आदि मौजूद रहे।