Shrimad Bhagwat Katha 2nd day : कर्म का बोध कराता है भागवत सत्संग : पंडित राधे राधे महाराज

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Shrimad Bhagwat Katha 2nd day
Shrimad Bhagwat Katha 2nd day

Aaj Samaj (आज समाज),Shrimad Bhagwat Katha 2nd day ,पानीपत : पानीपत श्री गुरु कृपा सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित मॉडल टाउन में स्थित मुल्तान भवन में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज पधारे। स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि पुरुषोत्तम मास अपने आप में स्वाम ही भगवान विष्णु ही है। सभी को इस मास में सत्संग सिमरन करना चाहिए। भागवत कथा यज्ञ में आहुतियां देकर पुण्य प्राप्त करना चाहिए। वियाश मंच पर विराजमान राधे राधे महराज को स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने आर्शीवाद दिया।

 

 

  • कर्म विहीन व्यक्ति धर्म विहीन हो जाता है कर्म धर्म ही मनुष्य जीवन : स्वामी ज्ञानानंद महाराज

 

कर्म के बिना धर्म की कल्पना करना निरर्थक

सत्संग प्रसंग पर चर्चा करते हुए प्रसिद्ध कथा वाचक भागवत रशिक पंडित राधे-राधे महाराज ने व्यास मंच से कहा कर्म का बोध केवल सत्संग ही करा सकता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णन आया है कर्म के बिना मनुष्य विचाराधीन रहता है। केवल विचार की दुनिया के अंदर भूला भटका, इधर उधर का चिंतन करता हुआ अपने आप को खो देता है। यदि हम कर्म के अनुसार अपने जीवन को नहीं व्यतीत करते तो समझो यह वही बात है जिस प्रकार से बिना घास की कोई हिरण चारावहां में चर रहा हो। पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा के कर्म के बिना धर्म की कल्पना करना निरर्थक है, क्योंकि कर्म ही धर्म की प्रथम सीढ़ी है। धर्म करने के लिए भी पहले हमें कर्म करना पड़ेगा। यद्यपि शास्त्रों में धर्म की भूमिका का विस्तृत वर्णन है परंतु जहां धर्म की चर्चा पर शास्त्रों में विशेष चर्चा रही वही भगवत गीता के अंदर योगीराज भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के पावन पवित्र स्थल पर केवल कर्म का बोध कराया।

 

धर्म कर्म मनुष्य जीवन के दो पहलू

भगवान श्री कृष्ण ने गीता के अंदर कर्म को इतनी प्रधानता दी, जैसे मानव धर्म उसके सामने बौना हो गया हो धर्म कर्म मनुष्य जीवन के दो पहलू हैं। यदि हम अपने संपूर्ण मानव जीवन यथार्थ में जीना चाहते हैं या फिर सत्य में जीना चाहते हैं, यह जीवन के मूल्य को हम समझना चाहते हैं, तो हमें कर्म के साथ धर्म का ज्ञान लेना परम आवश्यक है। ज्ञान कोई वस्तु नहीं है। इसे खरीदा जा सके जिसे बेचा जा सके। ज्ञान स्वयं का अध्ययन और कर्म पर डिपेंड करता है, यदि हम धर्म क्षेत्र में ही अपने जीवन को संपूर्ण रूप से लगा दें और कर्म करें ना तो वह दिन दूर नहीं होता जब आप सुनने पर खड़े हो जाएंगे, क्योंकि जरूर कर्म विहीन व्यक्ति धर्म करता है तो वह व्यक्ति धर्म के उस चर्मसुख को भी नहीं प्राप्त कर सकता। जिस को प्राप्त करने के लिए उसने धर्म क्षेत्र को चुना, साधना को चुना, आराधना को चुना, भक्ति को चुना।

 

सभी लोग किसी न किसी रूप में कर्म के बोध से बंधे हुए

सीधे अर्थों में यह कहें कि साधना तभी संपन्न हो सकते हैं। जब वह कर्म योगी बनकर की गई हो अर्थ अर्थ सीधे शब्दों में एक ही बात कर्म योगी मनुष्य ही साधना कर सकता है। पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा कि हम सब कर्म के बंधन में बंधे हुए और कर्म के बंधनों में जो व्यक्ति बंद कर सत्कर्म करता है, भक्ति करता है, आराधना करता है, वही धार्मिक होकर प्रभु को प्राप्त कर सकता है। पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा की नेता, अभिनेता, साधु, सन्यासी, ग्रस्त सभी लोग किसी न किसी रूप में कर्म के बोध से बंधे हुए।

 

 

पटका एवं पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया

इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज को श्री अवध धाम गुरु कृपा टस्ट के सदस्यों, सनातन धर्म संगठन के पदाधिकारी ने स्वागत किया। वही गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज को व्यास मंच से समिति के द्वारा पटका एवं पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया। सभी ने महाराज से आर्शीवाद लिया। इस अवसर पर देवेंद्र दत्ता, लोकेश नागरु पार्षद, तिलक राज मिगलानी सनातन धर्म संगठन के प्रधान कृष्ण रेवड़ी, ओमप्रकाश विरमानी, युद्धवीर रेवड़ी, सुनील ग्रोवर, प्रमोद शर्मा, केसी अनेजा, कृष्ण गोपाल सेठी, नंद किशोर छाबड़ा, दाऊ  महाराज, निरंजन पाराशर, रमेश नागुरु। प्रधान विपिन चुग। डॉ रमेश चुग, अशोक नारंग, सुदेश गोयल, रविंद्र सैनी, राजेंद्र ग्रोवर, प्रीतम गुर्जर, हिमांशु शर्मा रामरखा मानुजा, मंच का संचालन मदन आजाद ने किया।

 

 

 

 

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