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Shri Somnath Mansha Devi Temple Jind: जींद। श्री सोमनाथ मंशा देवी मंदिर में नवरात्र की छठ पर वीरवार को मेले का आयोजन किया गया। इससे पहले पांचवें नवरात्र की रात्रि को यहां पर जागरण का आयोजन किया गया। इसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। मंदिर की प्रबंधक समिति ने मेले को देखते हुए पहले ही पुख्ता इंतजाम कर लिए थे। श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना में किसी प्रकार से कोई दिक्कत नहीं आए, इसी को ध्यान में रखते हुए आने-जाने के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई थी। जागरण के दौरान अल सुबह ही पूजा अर्चना शुरू हो गई थी।
नवरात्रों के छठे दिन श्री सोमनाथ मंशा देवी मंदिर में मेला भरता है। यहां पर भारी संख्या में श्रद्धालु माता कात्यायनी की पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। मंदिर की प्रबंधक कमेटी द्वारा हर वर्ष यहां पर पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। मंदिर में बने हाल में रात को जागरण का आयोजन किया जाता है। नवरात्र शुरू होते ही मंदिर परिसर में खिलौने बेचने वाले डेरा डाल लेते हैं। यहां पर आए श्रद्धालुओं द्वारा लाइन में लगकर माता के दर्शन किए जाते हैं। मंदिर की प्रबंधक समिति के अनुसार नवरात्र पर श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आए, इसी को ध्यान में रखते हुए बैरीकेटिंग की जाती है। श्रद्धालुओं के आने और जाने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए जाते हैं। मंदिर में स्वच्छता बनाए रखने की विशेष ध्यान दिया जाता है।
छह क्विंटल खीर और चार क्विंटल पकौड़े होंगे श्रद्धालुओं के लिए तैयार Shri Somnath Mansha Devi Temple Jind
चैत्र नवरात्र की सप्तमी के मौके पर मां जयंती देवी मंदिर के दरबार में श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे का आयोजन होगा। इस भंडारे में व्रत धारियों के लिए खीर, पकौड़ों और पेठे की मिठाई सहित अन्य खास पकवान परोसे जाएंगे। मंदिर पुजारी पंडित नवीन कुमार शास्त्री ने बताया कि लगभग छह क्विंटल खीर बनाई जाएगी। यह खीर साबूदाने से तैयार की जाएगी, जबकि आलू और कट्टू के आटे से तैयार चार क्विंटल पकोड़े बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मंदिर में नवरात्रों के दिनों के दौरान लगने वाले इस मेले में जींद ही नहीं, देश-प्रदेश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दिन मंदिर में मां की अर्चना का खास महत्व होने के कारण ही लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं।
मंदिर प्रांगण में अलसुबह ही शुरू हो गई थी पूजा अर्चना Shri Somnath Mansha Devi Temple Jind
शास्त्री ने बताया कि मां जयंती के नाम से ही शहर का नाम जींद रखा गया हंै। इसलिए शहरवासियों की कुलदेवी होने के कारण हर वर्ष सप्तमी पर यहां मेला लगता हैं। मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने कहा कि मां तक पहुंचने का साधन है श्रद्धा। श्रद्धा वह है जो लाभ-हानि, जय-पराजय, सफ लता-असफ लता में अविचल-अटूट-अडिग बनी रहे। अटल विश्वास, अटूट श्रद्धा की शक्ति असीम है। शास्त्री नेे कहा कि मां का नाम बीज है। बीज में अपरिमित शक्ति है लेकिन उसके लिए जमीन चाहिए। मन ही वह भूमि है जिसमें मां की कृपा का अवतरण होना है। किन्तु यदि मन आपका पवित्र नहीं है तो चाहे ढ़ेरों मंत्रों का जाप करें, कितने ही स्तोंत्रों का पाठ करें मां की कृपा का दर्शन नहीं होगा। क्योंकि मां परखती हैैं आपका ईमान, आपका चरित्र, आपकी वृति, आपका स्वभाव, आपकी श्रद्धा।
मां का द्वार कभी बंद नहीं होता : आचार्य पवन Shri Somnath Mansha Devi Temple Jind
उधर, आचार्य पवन ने कहा कि मां का द्वार कभी बंद होता ही नहीं है, वह तो सदा सबके लिये खुला ही रहता है। चाहे कोई आधी रात को मां पराम्बा का द्वार खटखटावे, वे तत्काल उसे अपने हृदय से लगाने को तैयार मिलेगी। एक बार सच्चे हृदय से खटखटा कर तो देखो। आचार्य पवन शर्मा माता वैष्णवी धाम में आयोजित नवार्ण महायज्ञ के पांचवें दिन हवन-यज्ञ के उपरांत श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। आचार्य ने कहा कि छोटा बच्चा जब कभी भी रो कर मां को पुकारता है तो मां झट से अपनी स्नेहमयी गोद में उठा कर उसे सीने से लगा लेती है। सांसारिक मां तो किसी समय दूर रहने के कारण न भी सुने अथवा किसी दूसरे काम में लगी हो तो उसे पूरा करके भी आवे पर मां जगदम्बा में तो ये दोनों बातें नहीं क्योंकि वे सर्वश्शक्तिमयी जो है। बस शर्त यह है कि पुकार सच्ची होनी चाहिए।