आज समाज डिजिटल, पटियाला:
Shri Kali Devi Temple : शास्त्रों के अनुसार सभी देवियों में से देवी सरस्वती, लक्ष्मी और मां काली इन तीनों देवियों को सबसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पंजाब स्थित पटियाला शहर में श्री काली देवी जी का मंदिर बस स्टैंड एवं रेलवे स्टेशन से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से पैदल चलकर जाएं तो 10 मिनट में पहुंचा जा सकता है। हिंदू धर्म में देवताओं के साथ देवियों की पूजा भी की जाती है।
श्री काली देवी मंदिर का इतिहास Shri Kali Devi Temple
पटियाला का यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है। मान्यता है कि इस मंदिर में प्रवेश करने मात्र ही भक्तों के दुखों का नाश होना शुरू हो जाता है। पटियाला या पंजाब से लोग ही नहीं आते बल्कि देश-विदेश से भी यहां भक्तजन माता के दर्शन करने को आते हैं। सच्चे दिल से प्रार्थना करने से यहां साक्षात देवी भगवती के दर्शन होते हैं। माना जाता है कि यहां स्थित मां काली की मूर्ति कोलकाता से लाई गई है।
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Shri Kali Devi Temple : कहा जाता है कि इस मंदिर का नींव पत्थर पटियाला के 8वें महाराजा भूपिंदर सिंह ने रखा था लेकिन, इसका पूर्ण रूप से निर्माण महाराजा कर्म सिंह ने करवाया था। मंदिर परिसर की विशेषता है कि मंदिर के बीच में काली मंदिर से भी पुराना राज राजेश्वरी मंदिर भी स्थित है। रोजाना सुबह देवी मां को स्नान कराने के बाद उनका श्रृंगार किया जाता है। यही नहीं मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना भी की जाती है।
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देवी मां का खास भोग Shri Kali Devi Temple
Shri Kali Devi Temple : कहते हैं कि अन्य देवियों की तरह मां काली को हलवे का भोग नहीं लगाया जाता है। कहा जाता है देवी ने दुष्टों और पापियों का संहार करने के लिए माता दुर्गा ने ही मां काली के रूप में अवतार लिया था। मां दुर्गा का विकराल रूप कहलाई जाने वाली मां काली को शराब, बकरे, काली मुर्गी का भोग लगाया जाता है।शास्त्रों में देवी का प्रिय भोग मांस-मदिरा को बताया गया है, लेकिन कई भक्तजन मां को मीठे पान का बीड़ा भी चढ़ाते हैं और नारियल का भोग भी लगाते हैं। कहा जाता है देवी ने दुष्टों और पापियों का संहार करने के लिए माता दुर्गा ने ही मां काली के रूप में अवतार लिया था। ज्योतिषों अनुसार मां काली का पूजन करने से जन्मयकुंडली में बैठे राहु और केतु भी शांत हो जाते हैं।
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