Shri Jain Shwetambar Mahasabha : परमात्मा की पुष्प पूजा से अपनी आत्मा को सुगंधित करें : साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री

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श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा

Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shwetambar Mahasabha, उदयपुर 28 सितम्बर:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में गुरुवार को चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन हुए।

आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे पुष्पपूजा का विवेचन करते हुए साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहां कि पुष्पपूजा करते समय हमारी मनो भूमि पर यह चिंतन चलना चाहिये कि हे परमात्मा!

आपको सुमन यानि पुष्प अर्पित कर आपसे सुमन समान मन की कामना करता हूँ। आपके अंग पर चढऩे वाला पुष्प जिस प्रकार भव्य बन खा जाता है ठीक वैसे ही मुझे भी भव्यत्व (सम्मकृत्व) प्राप्त हो। हे आनन्ददाता! आपकी आत्मा के प्रत्येक प्रदेश में सुगंध के महासागर उमड़ रहे हैं। आपके एक-एक प्रदेश में अनंतानंत गुणों का निवास है। आपके श्वासोच्नास में भी मंदार और पारिजात जैसे फूलों सी मटक है। हे गुणदाता! पुष्पों के हार या सोने के अलंकार के बिना भी आपकी शोभा तो अनूठी है। फिर भी मैं आपके समझ पुष्प लेकर इसलिये आया हूँ कि मेरी आत्मा दुर्गुणोंकी दुर्गन्ध से भरी हुई है ये पुष्प आप स्वीकार कीजिये और इनके बदले में आप मुझे गुणों की सुशच दीजिये।

कुमारपाल महाराजा को पूर्वभव में पुष्पशता करते हुए जैसे भाव जगे थे वैसे भाव आपके प्रभाव से मेरे हृदय में भी जगे और महाराजा कुमारपाल की तरह मुझे भी इस पुष्प पूजा के पुण्य प्रभाव से गणधर पद की संप्राप्ति हो। मैं भाव सुगंध पाने की इच्छा से आज मैं आपको द्रव्य सुगंध अर्पण कर रहा हूँ। हमें पुष्पों के विषय में सावधानी भी रखनी है कि पूजा में सुंदर रंग वाले, अच्छी सुगंध वाले, ताजे, जमीन पर न गिरे हों पूर्ण रूप से विकसित हो ऐसे अखंड पुष्प लाने चाहिये, अर्पण करें। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

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