Shri Jain Shwetambar Mahasabha : मिथ्यात्व आत्मा का भयंकर रोग है : साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री

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श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा

Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shwetambar Mahasabha, उदयपुर 27 सितम्बर:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में बुधवार को चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन हुए।

आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहां कि मिथ्यात्व परम रोग है, मिथ्यात्व घोर अंधकार है, मिथ्यात्व भयंकर शत्रु है और मिथ्यात्व तीव्र जहर है। हिंसा आदि अठारह पाप स्थानक है। उसमें से सबसे भयंकर यदि कोई पाप है तो वह मिध्यात्व है। जब तक मिध्यात्व जीवित है, तब तक अन्य सभी पाप पुष्ट रहते हैं और यदि मिथ्यात्व मेर जाय तो सभी पाप कमजोर हो जाते है।

जैसे कि जब तक आहार ग्रहण की क्रिया चालू रहती है तब तक शरीर के सभी अवयव बराबर काम करते हैं और जब आहार लेना बंद कर देते है तो शरीर कमजोर पडऩे लगता है। इसी प्रकार जब तक आत्मा मिध्यात्व के पाप का सेवन करती है तब तक हिंसा आदि सभी पाप मजबूत बनते जाते है और जैसे ही मिथ्यात्व का पाप नष्ट हो जाता है वैसेही सभी पाप धीरे-धीरे क्षीण होता जाता है। इसलिए आत्म स्वस्थता को पाने के लिए मिध्यात्व को जड़मूल से दूर करना अत्यंत ही जरूरी है। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

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