Shri Jain Shwetambar Mahasabha, उदयपुर 20 सितम्बर:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में बुधवार को पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण के समापन पर सभी तप-आराधना करने वाले तपस्वियों का सामूहिक पारणा कराया गया।
आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन की धूम जारी
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सान्निध्य में आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद सभी को श्रावक-श्राविकाओं का सामूहिक पारणा हुआ। श्रावक-श्राविकाओं को आयड़ पंच तीर्थ तप का सामूहिक पारणा कराया गया एवं उनका सभी धर्मावलम्बियों का बहुमान किया गया।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा की निश्रा में कई श्रावक-श्राविकाओं ने पांच, तेला, बेला, उपवास, आयम्बिल, एकासन के भी प्रत्याख्यान लिए। पर्युषण पूर्व ही डेढ़ दर्जन से अधिक अठाई तप की आराधना हो चुकी थी। सामायिक साधना की ऐसी होड़ भी पहली बार देखी गई कि श्राविका ही नहीं कई श्रावकों ने भी मात्र पर्युषण के आठ दिन में 140-150 सामायिक तप की साधना कर ली यानि प्रतिदिन 15 से 18 घंटे सामायिक तप में व्यतीत किए। इसी तरह आठों दिन नवकार महामंत्र की अखण्ड आराधना के माध्यम से भी लाखों नवकार महामंत्र जाप का उच्चारण कर आयड़ तीर्थ में भक्ति की पॉजिटिव एनर्जी का संचार हो गया।
उन्होंने कहा कि संघ की तपस्या, साधना व भक्ति का जो माहौल यहां देखने को मिला है वह हमेशा याद रहेगा। तपस्याओं ओर सामायिक साधना की ऐसी होड़ की उम्मीद तो उन्हें भी नहीं थी। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर पर्युषण महापर्व के तहत प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
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