- तीन दिवसीय पाश्र्वनाथ भगवान की महापूजा सम्पन्न
- आयड़ तीर्थ से 130 तपस्वियों का निकला सामूहिक वरघोड़ा
Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shwetambar Mahasabha, उदयपुर 8 जनवरी:
श्री जैन श्वेतम्बर महासभा के तत्वावधान में गुरुवार को ईडर पावापूरी तीर्थ के निर्माता परम पूज्य आचार्य देव कल्याणसागर सूरीश्वर महाराज, आचार्य राजतिलक सागर सूरीश्वर, मुनि धर्मकीर्ति सागर, बाल मुनिराज धर्मराज सागर, साध्वी प्रफल्ल प्रभा, साध्वी वैराग्यपुर्णा श्रीजी आदि ठाणा के सान्निध्य में आयड़ जैन तीर्थ स्थित आत्म वल्लभ भवन में विविध आयोजन हुए। नवकारसी का लाभ मंजू कोठारी परिवार ने लिया। सोमवार को 9 बजे प्रवचन हुए। उससे पूर्व आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि महासभा की ओर से तपस्वियों को वरघोड़ा निकाला गया। जो आयड़ तीर्थ से प्रारम्भ होकर धूलकोट चौराह, जयश्री कॉलोनी, ठोकर रोड़ होते हुए पुन: आयड़ जैन तीर्थ पहुंचा। शोभायात्रा में सबसे आगे पांच घोड़ों पर जैन ध्वज हाथ में लिए श्रावक चल रहे थे। उसके पीछे दो बैण्ड अपनी स्वर लहेरियां बिखेरते हुए चल रहा था।
उसके बाद दो सुसज्ज्ति बग्गियंा चल रही थी, उनके बाद श्रावक-श्राविकाएं जयघोष का उद्बोधन करते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा के मार्ग में जगह-जगह श्रावक-श्राविकाओं द्वारा गऊली बनाकर शोभायात्रा का स्वागत किया गया। मार्ग में हजारों की संख्या में मौजूद श्रावक-श्राविकाएं भगवान के जयकारें लगाते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा के पुन: आयड़ तीर्थ पर पहुंचने के बाद 108 पाश्र्वनाथ भगवान की महापूजा सम्पन्न हुई। गुरुदेव की महामंागलिक हुई। उसके बाद सभी 130 तपस्विायों के हुए सामूहिक तेला के पारणे का आयोजन किया गया।
आयोजित धर्मसभा में आचार्य कल्याणसागर सूरीश्वर महाराज ने बताया कि वास्तव में हमारे ऊपर परमात्मा का बहुत बड़ा उपकार है कि उन्होंने हमारा संपूर्ण दु:ख टालने का और हमें चिरस्थायी रूप से सुखी बनाने के लिए सुंदर और सरल मार्ग बतलाया है। परमात्मा स्वयं इम मार्ग पर चलकर सुखी बने हैं और साथ-साथ हमें भी सुखी बनने का मार्ग बतलाया है।
इस प्रकार परम तारक परमात्मा का हमारे ऊपर अनगिनत उपकार है। हम करोडो वर्ष तक उनकी अखण्ड सेवा करते रहें फिर भी उनके इस उपकार का बदला नहीं चुकाया जा सकता। उन्होंने आगे बताया कि जैसे हम खतरनाक जंगल में फंस गए हों या यथाह समुद्र में डूब रहे हमें बचने का कोई सहारा न हो, ऐसे अवसर पर हमारी जान बचाने वाला कोई मिल जाए तो हमें नेह व्यक्ति कैसा लगेगा? यही सोचेंगे ना कि यदि वह नहीं मिला होता तो हमारी मृत्यु निश्चित थी, हमारा विनाश निश्चित था। बचने की कोई आशा नहीं थी, लेकिन उस व्यक्ति ने हमें मौत के मुख से बचा लिया।
महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि मंगलवार को आचार्य देव कल्याणसागर सूरीश्वर महाराज संघ आयड़ तीर्थ से विहार कर कैलाशपुरी स्थित अद्बुधजी तीर्थ पधारेंगे।
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