- आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही धर्म ज्ञान की गंगा
Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shwetambar Mahasabha, उदयपुर 9 नवम्बर :
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में गुरुवार को विशेष पूजा-अर्चना के साथ विविधि अनुष्ठान हुए। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने बताया कि संसार परिभ्रमण की सर्वया समाप्ति के लिए की जिनेश्वर भगवन्तों ने जिन शासन की स्थापना की है। मोक्ष जाने का आमन्त्रण इसी का यथार्थ नाम धर्म देशना है।
परमात्मा के वचन का एक भी अनुयोग ऐसा नहीं जो आत्मा को संसार से विमुख कर संयम का पिपासु बनाता हो। कर्मक्षय के एकमात्र हेतु से इस लोकोत्तर धर्म शासन की प्रत्येक आराधना विषयों के नमन, रुपायों के रामन, इन्द्रिय दमन आत्म स्वरूप में रमण अंतत: मोक्ष गमन के लिए है। मोझ की इच्छा में इतनी शक्ति है कि आत्मा को इच्छा रहित बना देती है। आज परमात्मा महावीर की अंतिम देशना जो उत्तराध्ययन सूत्र है- उस सूत्र का बांचन प्रारंभ किया गया है। धर्म जिज्ञासु श्रावक-श्राविकाएं उत्तराध्ययन सूत्र का ज्ञान पूजा करके ज्ञान भक्ति का लाभ लिया। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
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