- आज पद्मावती माता का जाप एवं सामूहिक एकासना
Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shvetambara Mahasabha, उदयपुर 20 जुलाई:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में गुरुवार को परमात्मा की वाणी के माध्यम से सामायिक का विवेचना विषय पर विशेष प्रवचन हुए ।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में दोनों साध्वियों के सान्निध्य में 21 जुलाई को पद्मावती माता का जाप एवं सामूहिक एकासना किया जाएगा।
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने चातुर्मासिक प्रवचन में परमात्मा की वाणी के माध्यम से सामायिक का विवेचन में बताया कि सर्वज्ञ भगवंतों के द्वारा निर्दिष्ट सामायिक धर्म यह मोक्ष का श्रेष्ठ अंग है, साधन है सामायिक अर्थात् समभाव” । कैसे भी अनुकूल या प्रतिकूल संयोग खडे हो परन्तु उन संयोगों में मन में लेश मात्र भी राग या द्वेष के परिणाम पैदा न हो यह सामायिक की उत्कृष्ट भूमिका है। उस भूमिका को लक्ष्य में रखकर ही हमें सामायिक धर्म की आराधना-साधना करने की है।
तीर्थंकर परमात्मा केवलज्ञान की प्राप्ति के बाद सर्व प्रथम सामायिक धर्म का ही उपदेश देते हैं। परमात्मा से पूछा गया कि-परमात्मा। सामायिक से जीवात्मा को क्या लाभ होता है? परमात्मा ने फरमाया कि सामायिक से सावध योग यानि पापकारी प्रवृत्तियों का त्याग होता है। एक व्यक्ति प्रतिदिन कारण खांडी सुवर्ण का दान करता है और एक व्यक्ति प्रतिदिन सामायिक करता है। इतना दान देने वाला भी सामायिक की बराबरी नहीं कर सकता है। इतना लाभ इस सामायिक में रहा हुआ है। हमें समता में रहकर सामायिक करन है।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
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