Shri Jain Shvetambara Mahasabha : विनय जीवन की प्रथम सीढ़ी है : साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री

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आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन
आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन
  • आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन

Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shvetambara Mahasabha , उदयपुर 08 जुलाई:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में शनिवार को चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन हुए। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान श्रावक-श्राविकाएं प्रभु के भक्ति गीतों पर झुम उठे।

चातुर्मासिक प्रवचन श्रृृंखला का सातवां दिन

जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहां कि किं मूलं धम्मे” धर्म का मूल क्या है यह प्रश्न परमात्मा महावीर से थावच्चा पूत्र ने पूछा – परमात्मा ने फरमाया कि “विनय मूले धम्मो” विनय ही धर्म का मूल है। सभी गुण विनय के अधीन है, यदि तुमने विनय को पा लिया है तो समस्त गुण पा लिये। विनय तो अंक है बाकी सब शून्य है। शून्य की अंक के बिना कोई किंमत नहीं। सद्गुणों के खजाने की यदि कोई चाबी है तो वह है विनय ।

आगे उन्होंने बताया कि ज्ञान पथ पर बढऩे के लिए पहला कदम विनय ही है। क्योंकि विनम्रता के बिना पात्र नही बन सकते। विनम्रता के बिना कुछ पा नही सकते। हमारे जीवन में विनय, नमुता आयेगी तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते है। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

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