- साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की
Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shvetambara Mahasabha 15 July उदयपुर :
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में शनिवार चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन हुए। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही है धर्म ज्ञान की गंगा
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहां कि धर्म की प्राप्ति नहीं होने के कारण ही यह जीव अनादिकाल से संसार में दु:खी हो रहा है। हरिभद्रसूरिजी महाराज ने हमें इस दु:खमय संसार से बाहर निकालने के लिए तीन उपाय बताए है। जिसमें उन्होंने हमे बहुमान पूर्वक साधु भगवंतों की भक्ति करनी चाहिए। जगत के सभी प्राणियों के प्रति मैत्री भाव रखना चाहिए एवं संसार के पदार्थ में ममत्व मान का त्याग करना चाहिए।
इन तीन उपायों को जो धारण करता है वह धीरे-धीरे सभी प्रकार के अकार्यों से बचते हुए, सदाचार में स्थिर होता है और आगे बढ़ कर वह सर्वविरति धर्म तक पहुँच जाता है। इन तीन उपायों को आत्मसात् करने के लिए सबसे पहले अकार्यों से बचने की भावना होनी चाहिए, आत्महित करने की तमन्ना होनी चाहिए तथा सदाचारों को अपनाने की तत्परता होनी चाहिए। इनके बिना जीवन में इन तीन उपायों पर अमल कर पाना संभव नहीं है। धर्म की रुचि जागे, धर्म पाने की तमन्ना पैदा हो तभी यह संभव हो सकता है।
जैसे आप कोई चीज खरीदने जाते है तो जब तक आपको पसंद न आये तब तक आप उसे खरीदने की इच्छा नहीं होती। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
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