Shri Jain Shvetambara Mahasabha : जब सद्गुरु का सान्निध्य प्राप्त होता है, तब सन्मार्ग की भी प्राप्ति होती है : प्रफुल्लप्रभा

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श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
  • गाजे-बाजे के साथ निकाला तपस्वियों का वरघोड़ा
  • तप अभिनंदन पत्र समर्पित कर तप अनुमोदन की

Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shvetambara Mahasabha , उदयपुर 23 अगस्त:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में बुधवार को मास क्षमण का तप की साधना करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का वरघोड़ा निकाला गया। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। उन्होनें बताया कि आयड़ तीर्थ पर गुरुवार को 23वें तीर्थंकर शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जिनालय में निर्वाण कल्याणक दिवस पर 23 किलों का निर्वाण लड्डू चढ़ाया जाएगा।

चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा की निश्रा में मनीष कुमार, विमला देवी -राजमल बोहरा ने मास क्षमण का तप अर्थात् तीस दिन की महान तपस्या की। जिनका तप वरघोड़ा उनके निवास स्थान से आयड़ तीर्थ तक गाजे-बाजे से निकाला गया। जहां जिन मंदिरों के दर्शन पूजन कर तपस्वी श्रावक का आत्म-वल्लभ सभा भवन में श्री संघ की ओर से बहुमान किया गया एवं तप अभिनंदन पत्र समर्पित कर तप अनुमोदन की गई। इस शुभ प्रसंग पर परम पूज्य आचार्य भगवंत निपूणरत्न सूरीश्वर महाराज का आशीर्वचन भी प्राप्त हुआ। तपस्वी के निवास स्थान पर श्रीसंघ का पदार्पण भी हुआ। जहां नारियल की प्रभावना दी गई एवं तप अभिनंदन के पश्चात तपस्वी परिवार की ओर से प्रभावना संघ पूजन हुआ।

महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि इस दौरान आयोजित धर्मसभा में साध्वियों ने कहां कि कहते है कि जब सद्गुरु का समागम प्राप्त होता है, तब सन्मार्ग की भी प्राप्त होती है, और आत्म स्वरूप का ज्ञान प्राप्त होता है। तप के बारे में बताया कि तप के सेवन से देह की ममता का त्याग रसना – जय और कषायों पर विजय प्राप्त होती है। इससे कर्म इत्य होता है, और क्षय से आत्मा शुद्धात्मा बन अजरामर मुक्ति पद प्राप्त करती है। आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

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