Shri Jain Shvetambara Mahasabha : नेमिनाथ भगवान को चढ़ाया जन्म कल्याणक लड्डू एवं ध्वजा परिवर्तन

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श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
  • सवा पांच किलो का चढ़ाया जन्म कल्याणक लड्डू
  •  गाजे-बाजे के साथ निकली विशाल शोभायात्रा

Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shvetambara Mahasabha, उदयपुर 21 अगस्त:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में सोमवार को नेमिनाथ भगवान का जन्मकल्याणक लड्डू एवं मंदिर पर ध्वजा परिवर्तन सहित विविध आयोजन हुए ।

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद आदिनाथ महिला मण्डल द्वारा सत्राह भेदी पूजा पढ़ाई गई। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन एवं महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने संयुक्त रूप से बताया कि आयड़ जैन तीर्थ से गाजे-बाजे की स्वर लेहरियां बिखेरती हुई विशाल शोभायात्रा देहली गेट स्थित नेमिनाथ जैन मंदिर पहुंची जहां नरेन्द्र-कांता, कुलदीप मेहता द्वारा मूलनायक नेमिनाथ भगवान को सवा पांच किलों का जन्मकल्याणक लड्डू चढ़ाया गया।

उसके बाद जन्म कल्याणक का लडï्डू का लाभ सतीश कच्छारा एवं ध्वजा परिवर्तन अशा-रणवीर मादरेचा परिवार ने लिया। इस अवसर पर थोब की बाड़ी में बिराजित साध्वी कल्पदर्शिताश्री, प्रियदर्शिताश्री आदि ठाणा का भी आशीर्वचन प्राप्त हुआ। इस अवसर पर चतर सिंह पामेचा, रवि देरासरिया, फतह सिंह नलवाया, दिलीप नलवाया सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि इस दौरान आयोजित प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहां कि तारक तीर्थकर परमात्मा वाणी के माध्यम से ही जगत के जीवों पर महान उपकार करते हैं।

जिस समय अरिहंत परमात्मा समवसरण में बैठकर जगत् के जीवों को धर्म उपदेश दे रहे थे, उस समय हमारी आत्मा कहाँ थी हमे कुछ भी पता नहीं है। प्रभु की वाणी हमने सुनी या नहीं पता नहीं है। परन्तु अपने सद्भाग्य से तारक परमात्मा की उस वाणी का गणधर भगवंतों ने सूत्र के रूप में गुंथा और उन्हीं आगम सूत्रों के आधार पर पूर्वाचार्य महर्षियों ने एक से एक बढ़कर प्रकरण-ग्रन्थों का निर्माण किया। आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

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