Shri Jain Shvetambara Mahasabha : स्वाध्याय आत्मा के लिए हितकारक है : साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री

0
293
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
  • आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृृंखला जारी

Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shvetambara Mahasabha , उदयपुर 19 अगस्त:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में शनिवार को विशेष प्रवचन हुए । महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने प्रवचन माला में जीवन के 36 कर्तव्यों के आधार पर चल रहे प्रवचन में पन्द्रवां कत्र्तव्य स्वाध्याय के विषय में साध्वी प्रफुल्ल प्रभाश्रीजी एवं वैराग्यपूर्णा ने बताया कि सज्झाय समो तवो नत्थि “अर्थात् स्वाध्याय के समान कोई तप नही है। स्वाध्याय का सामान्य अर्थ है लिखित-मुद्रित ज्ञान ग्रन्थों का अध्ययन-अध्यापन करना। सतत बराबर स्वाध्याय करने से अपना बैराग्य भाव पुष्ट होता है जाता है। वैराग्य को टिकाने के लिए वैराग्य से पूर्ण ग्रन्थों का स्वाध्याय अत्यंत ही अनिवार्य है।

अपने शुभ भावों को हृदयंगम तथा उसकी रक्षा करने के लिए स्वाध्याय अमोध उपाय ज्ञान-ध्यान की प्रवृत्ति में जो सदैव लीन बना रहता है, वह अपने मन को भी वश में रख सकता है। मन रूपी अन्य को वश में रखने के लिए स्वाध्याय लगाम के समान है। लगाम यदि हाथ में है तो घोड़े को वंश में रखा जा सकता है, इसी प्रकार स्वाध्याय में लीन बना व्यक्ति अपने चंचल मन को भी स्थिर कर सकता है। श्रावक स्वाध्याय के पांच प्रकार होते है। वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा है । धर्म क्या इनमें सदा तल्लीन रहना।

चारविक्रयाएँ का त्याग करना जो कि स्त्री कथा, भक्त कथा, देश कथा एवं राज कथा ये विकथाएँ स्वाध्याय में अत्यंत ही घातक होने से उनका त्याग करना चाहिए। शास्त्रों से नए-नए पदार्थों का बोध होता है, जिससे मन की प्रसन्नता भी बढ़ती है और मन एकाग्र हो जाता है इतना ही नही, स्वाध्याय में तल्लीन बना व्यक्ति खाना-पीना भी भूल जाता है। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

यह भी पढ़ें : Smart Diet Plan : खून की कमी दूर करने के लिए स्मार्ट डाइट प्लान : इन चीजों को बढ़ाए और इन से करें परहेज

यह भी पढ़ें : Sunny Deol Film ‘Gadar 2’ : धर्मेंद्र का बड़ा बयान : बोले- मेरे परिवार को कभी उसका ड्यू नहीं मिला, हमारा परिवार फैंस के प्यार के दम पर टिका हुआ है

Connect With Us: Twitter Facebook