Shri Jain Shvetambara Mahasabha : गुरु एक दीपक है, जो हमेशा सही रास्ता दिखाता :  साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री

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साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री
साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री
  •  आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचन श्रृृंखला का दूसरा दिन
  •  धूमधाम से मनाया गुरु पूर्णिमा पर्व

Aaj Samaj (आज समाज), Shri Jain Shvetambara Mahasabha, उदयपुर 03 जुलाई:

श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर  सोमवार को बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री म.सा. की पट शिष्या परम पूज्य साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री म.सा. एवं वैराग्य पूर्णाश्री म.सा. आदि संतों का चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन हुए। वहीं, गुरु पूर्णिमा पर्व धूमधाम से मनाया गया।

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री का चातुर्मासिक मंगल प्रवचन हुआ। उसके बाद आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर साध्वीजी का गुरु हमारे मार्ग दर्शक विषय पर विशेष प्रवचन हुए। वही गुरु गौतम विषय पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

गुरु एक खुशबू है, जिससे सारा जहाँ महक उठता है

आयड़ तीर्थ पर सोमवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रंृखला में साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री म.सा. एवं वैराग्य पूर्णाश्री म.सा. ने अपने प्रवचन में बताया कि गुरु एक खुशबू है, जिससे सारा जहाँ महक उठता है, गुरु एक दीपक है, जो हमेशा सही रास्ता दिखाता है, गुरू एक नगमा है, जिसकी गूंज जिंदगी का एहसास दिलाती है, गुरु एक हुआ है, जो सर पर सदा छाया करती है, गुरु एक खुशी है जो जिंदगी के दामन में खुशियां भरती है, गुरू एक राह है, जो सीधी मोक्ष मंजिल पर जाती है।

गुरु सर्व सुखों के दाता है

गुरु मंत्र हजारों रोगों की हवा है, इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते है। जिस व्यक्ति का भाग्य सोया हुआ हो, दुर्भाग्य से घिरा हो तो गुरु कृपा से उस व्यक्ति की सोई हुई भाग्य खुल जाती है। गुरु की सेवा से चरणों में समर्पण से इंसान भय मुक्त होता है। गुरु सर्व सुखों के दाता है। पारस तो लोहे को ही मात्र सोना बनाता है किन्तु सद्गुरु किसी भी योग्य अयोग्य को उसको दोष दूर कर अपने रंग में रंग कर स्वयं जैसा बना देते है। गुरु ही हमारे सर्वस्व है।

जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला का आयोजन सुबह 9.15 बजे से होंगे।

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