Shri Ganesh Sanskrit College: देश के इस कॉलेज में दाखिला लेने के लिए मांगनी पड़ती है भिक्षा

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Shri Ganesh Sanskrit College देश के इस कॉलेज में दाखिला लेने के लिए मांगनी पड़ती है भिक्षा
Shri Ganesh Sanskrit College : देश के इस कॉलेज में दाखिला लेने के लिए मांगनी पड़ती है भिक्षा

Begging To Get Admission In College, (आज समाज), भोपाल: भारत के एक राज्य में ऐसा महाविद्यालय यानी कॉलेज भी है जहां एडमिशन लेने के लिए रिश्वत अथवा किसी की पैरवी नहीं करनी पड़ती है बल्कि भिक्षा मांगनी पड़ती है। मध्य प्रदेश के सागर जिले में श्री गणेश संस्कृत महाविद्यालय में सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार ऐसा किया जाता है और इसी सप्ताह ऐसा उदाहरण सामने भी आया है।

आदिकाल से 16 संस्कार की परंपरा

दरअसल, सनातन धर्म में आदिकाल से 16 संस्कार करने के बाद विद्यार्थियों को गुरुकुल में प्रवेश देने की परंपरा रही है। वर्तमान में इन परंपराओं के वजूद का संकट आ गया है, लेकिन कुछ जगहों पर आज भी इन संस्कारों का निर्वहन किया जा रहा हैं।

बटुकों का मुंडन उपनयन दीक्षा संस्कार

मध्य्रपदेश के सागर जिले में श्री गणेश संस्कृत महाविद्यालय में भी प्रवेश लेने वाले बटुकों का मुंडन उपनयन दीक्षा संस्कार किया गया। एक समय वह आया जब इन बच्चों को उनके माता-पिता से ही भिक्षा मांगनी पड़ी। ऐसा देखकर हर कोई भावुक हो गया। किसी संन्यासी की तरह हाथों में धर्म ध्वजा थामे बच्चे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे और अपने अभिभावकों के सामने ही वे दान पात्र फैला कर भिक्षा मांग कर संस्कार को निभा रहे थे।

कालेज में हुआ 100 बटुकों का एडमिशन

बता दें कि गढ़ाकोटा श्री गणेश संस्कृत महाविद्यालय में नए सत्र में 100 बटुकों का एडमिशन हुआ है। जो संस्कृत की शिक्षा दीक्षा लेकर धर्म के प्रति निपुण होंगे। सागर के 101 बटुक ब्राह्मणों की शिक्षा दीक्षा उपनयन संस्कार किए गए हैं। इसके बाद अब इनको वेद पुराण का अध्ययन कराया जाएगा। दरअसल, गढ़ाकोटा के पीपलघाट पर स्थित श्री गणेश संस्कृत विद्यालय हैं। मध्य प्रदेश के सीनियर विधायक गोपाल भार्गव पिछले कई सालों से पूरी तरह से निशुल्क संचालित कर रहे हैं, ताकि धर्म का प्रचार प्रसार हो।

विश्व कल्याण और शांति के लिए अनुष्ठान

कार्यक्रम में बटुक ब्राह्मणों का उपनयन संस्कार, धर्म की दीक्षा देकर उन्हें कर्मकांडी बनाया गया। बटुकों का ब्रह्म मुहूर्त में पंच गव्य स्नान कराकर शुद्धि के बाद 11 अलग अलग स्थानों की मिट्टी का सिर पर लेप कर संस्कार शुरू हुए। नवीन वस्त्र धारण करके सभी को हवन वेदी पर बिठाया और पंडितों ने विश्व कल्याण और शांति के लिए अनुष्ठान किया।