Shri Akal Takht Sahib Jathedar: पंजाब में हालात ठीक, लोग बेखौफ होकर राज्य में आएं

0
395
Shri Akal Takht Sahib Jathedar
पंजाब में हालात ठीक, लोग बेखौफ और बेपरवाह होकर राज्य में आएं

Shri Akal Takht Sahib Jathedar: हरियाणा और पंजाब व दिल्ली के अलावा खासकर उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में आज सिख धर्म के प्रमुख त्योहार बैसाखी की धूम रही। हिंदू धर्म में भी इस पर्व का विशेष महत्व है। शुक्रवार को सुबह से ही हरियाणा, पंजाब व उत्तर भारत में ज्यादातर जगह छोटे-बड़े गुरुद्वारों व मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। पंजाब में तलवंडी साबो स्थित श्री दमदमा साहिब में इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने संबोधित किया।

  • तलवंडी साबो स्थित श्री दमदमा साहिब में बोले ज्ञानी हरप्रीत सिंह
  • सिख के प्रमुख त्योहार बैसाखी पर आयोजित किया था कार्यक्रम

शरारती शांत पानी में पत्थर मारते हैं, फिर कहते में पानी हिल रहा

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि पंजाब में हालात ठीक हैं और लोग बेखौफ होकर, बेपरवाह होकर राज्य में आएं। राज्य में न टकराव है, न दो भाईचारों में तलवारें चली हैं। यहां सरकार के साथ टकराव में कोई गोलियां तक नहीं चली हैं, लेकिन फिर भी पंजाब को गड़बड़ी वाला राज्य कहा जा रहा है। ज्ञानी हरप्रीत ने कहा, कई बार शरारती तत्व शांत पानी में पहले पत्थर मारते हैं और बाद में कहा जाता है, देखो पानी हिल रहा है, पानी अशांत है।

राज्य में अमन-शांति की अरदास की

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने इस अवसर पर राज्य में अमन-शांति की भी अरदास की। पुलिस के सख्त पहरे व निगरानी के बावजूद लाखों की संख्या में संगत श्री दमदमा साहिब पहुंची थी जिसके लिए ज्ञानी हरप्रीत ने संगत का धन्यवाद किया। ज्ञानी हरप्रीत ने बताया कि सिख परंपरा में बैसाखी का पावन पर्व श्री गुरु अमरदास जी के समय से ही मनाया जा रहा है। सिख भाई तारो जी ने श्री गुरु अमरदास जी के सामने अपने विचार रखे थे कि एक साझा दिन मनाया जाए, जिस दिन पूरी दुनिया से सिख इकट्ठे हुआ करें। ताकि वे एक दूसरे को जान सकें। बैसाखी का पर्व किसानों के लिए भी बेहद खास माना जाता है।

स्वर्ण मंदिर, आनंदपुर साहिब गुरुद्वारा व बंगला साहिब में भी उमड़ी भीड़

दिल्ली स्थित प्रसिद्ध बंगला साहिब गुरुद्वारा, अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर और रूपनगर स्थित आनंदपुर साहिब गुरुद्वारे में भी बैसाखी पर श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रही। उन्होंने इन पवित्र स्थलों पर पहुंचकर देश की खुशहाली के लिए अरदास की। तड़के ही बड़ी संख्या में श्रद्धालू गोल्डन टेंपल पहुंच गए थे। उन्होंने यहां अरदास लगाई और सरोवर में पवित्र स्नान भी किया।

सिख धर्म के लोगों का शुरू होता है नववर्ष

बैसाखी कई मायनों में बेहद खास होती है। इस दिन से सिख धर्म के लोगों का नववर्ष प्रारंभ होता है। माना जाता है कि बैसाखी के दिन ही सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। साल 1699 में बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में खालसा पंत की नींव रखी गई थी।

यह भी पढ़ें : Prime Minister Narendra Modi ने देश को समर्पित किया पूर्वोत्तर का पहला एम्स