खालिस्तान और भिंडरावाला मुर्दाबाद कहकर दिखाएं चढूनी : गुणी प्रकाश

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Kaithal, State President of BKU, Guneet Prakash
Kaithal, State President of BKU, Guneet Prakash

कैथल।(मनोज वर्मा)  भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुणी प्रकाश ने गुरनाम सिंह चढूनी को चैलेंज किया कि वे खालिस्तान और भिंडरावाला मुर्दाबाद बोलकर दिखाएं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में धार्मिक झंडे लहराए जा रहे हैं और नारे लगाए जा रहे हैं, जो बिलकुल अनुचित हैं। यदि ये लोग खालिस्तान और आतंकी भिंडरावाला के खिलाफ नारे लगा देंगे तो मानेंगे कि ये किसानों की सच्ची लड़ाई लड़ रहे हैं।

राजनीतिक महत्वाकांक्षा का आरोप

गुणी प्रकाश ने किसान नेता गुरनाम चढूनी व राकेश टिकैत पर किसान आंदोलन के बहाने  राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के आरोप लगाए हैं। गुणी प्रकाश ने कहा कि किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत से लेकर, शरद जोशी और उन्होंने वर्षों तक ये कृषि कानून बनाए जाने के लिए आंदोलन किया। अब जब किसानों के लिए कोई कानून बना और किसानों को कृषि फसल पूरे देश के किसी भी कोने में बेचने और आढ़तियों से आजादी मिली तो ये राजनीति से प्रेरित होकर किसानों को गुमराह करने के लिए खड़े हो गए। वहीं गुरनाम सिंह चढूनी दो-दो चुनाव विधानसभा और लोकसभा का लड़ चुके हैं, दोनों बार जमानत जब्त हुई और राकेश टिकैत भी चुनाव लडकर अपनी जमानत जब्त करवा चुके हैं। इन्हें किसानों के हितों से कोई लेना देना नहीं है। कृषि कानूनों से नुकसान आढ़तियों को हुआ और लड़ाई किसानों के कंधों पर रखकर ये लोग लड़ रहे है। प्रजातांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री का हिंसात्मक तरीके से विरोध करना गलत है। कृषि कानूनों का उनका संगठन स्वागत करता है और जल्द ही गांव मथाना में मुख्यमंत्री का किसानों की समस्याएं सुनने के लिए खुला दरबार लगाया जाएगा, जिसके लिए मुख्यमंत्री से बात करके तारीख निश्चित होनी है।

असामाजिकता बर्दाश्त नहीं

गुणी प्रकाश ने कहा कि किसानों के रूप में किसी भी असामाजिक तत्व द्वारा उस दिन वहां पर कोई भी शरारत करने की कौशिश कि तो किसान उसका मुंह तोड़ जवाब देंगे। उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत है जब कृषि कानून बन जाने पर राकेश टिकैत ने कहा था कि अब उनके पिता किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की आत्मा को शांति मिलेगी कि उनके 35 वर्ष के संघर्ष के बाद उनकी मांग को पूरा किया गया है। अब पता नहीं क्यों वे कृषि कानूनों के विरोध में खड़े हो गए हैं और इसके पीछे उनकी मंशा क्या है। किसानों के आंदोलन में धार्मिक, और कामरेड के लाल झंडों का क्या मतलब है, ये प्रदेश का माहौल खराब करने वाली बात है।