आज समाज डिडिटल,रोहतक:
सप्तक रंगमंडल और पठानिया वर्ल्ड कैंपस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित घरफूंक थियेटर फेस्टिवल में इस बार प्रसिद्ध नाटककार मोहन राकेश के एकांकी ‘अंडे के छिलके’ का मंचन किया गया। स्थानीय किशनपुरा चौपाल में हुए इस नाटक में एक ऐसे परिवार की कहानी दिखाई गई जिसके सदस्य एक-दूसरे से छिप कर अपने शौक पूरे करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा न करने पर बड़ों की भावनाएं आहत होंगी और परिवार की मर्यादा टूट जाएगी।
परिवार में अम्मा, माधव, राधा वीना, गोपाल और श्याम कुल छः विभिन्न रुचियों वाले पात्र
दूसरी ओर, घर के बड़े भी छोटों की खुशी के लिए सब कुछ देखने-जानने के बावजूद इन बातों पर आंख मूंदे रहते हैं, ताकि छोटे अपने शौक पूरे कर सकें मोहन राकेश ने इस एकांकी में एक संयुक्त परिवार के सदस्यों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के पक्ष को बहुत ही सूक्ष्मता से उभारा है। परिवार में अम्मा, माधव, राधा वीना, गोपाल और श्याम कुल छः विभिन्न रुचियों वाले पात्र हैं। सभी पात्र एक दूसरे से छिपकर अपने शौक पूरे करते हैं, लेकिन साथ ही एक-दूसरे की भावनाओं को भी समझते हैं। धार्मिक मान्यताओं वाले इस परिवार में मीट-अंडा खाना, सिगरेट-शराब पीना व नावल-गुटका पढ़ना अम्मा को पसंद नहीं है। इसके बावजूद वीना, गोपाल, राधा और श्याम छिप छिपकर अंडे खाते हैं। गोपाल सिगरेट पीता है व राधा को चंद्रकांता संतति जैसे नावल पढ़ने का शौक है। शुरू में सब को लगता है कि उनके इन शौकों के बारे में घर के दूसरे सदस्य अनजान हैं, लेकिन एक दिन उन्हें पता चलता है कि सब एक दूसरे के बारे में जानते हैं और इस बात का ख्याल रखते हैं कि अम्मा को इनके बारे में पता न चले।
अम्मा भी सब कुछ जानते हुए अनदेखी करती रहती हैं
हालांकि अम्मा भी सब कुछ जानते हुए अनदेखी करती रहती हैं। सभी पात्रों की परस्पर घनिष्ठता तथा आत्मीयता पूरे एकांकी में झलकती है नाटक एक बरसाती दिन की घटना पर आधारित था, जब वीना और उसका देवर श्याम वीना के कमरे में चाय के साथ अंडे का हलवा खाने का कार्यक्रम बनाते हैं। वीना राधा को भी वहां बुला लेती है, क्योंकि वह जानती है कि वह भी अंडे खा लेती है। तभी वीना का पति गोपाल ऑफिस से आ जाता है। श्याम उसे देख कर घबरा जाता है। तब वीना बताती है कि गोपाल को उसके बारे में पहले से ही पता है। वह खुद जुराबों में अंडे के छिलके छुपा कर रखता है और राधा को तो उसके सिगरेट पीने की आदत का भी पता है। अंडे का हलवा बनने को होता है कि अम्मा कमरे में आ जाती हैं। उन्हें देखकर सब घबरा जाते हैं और उल-जुलूल हरकतें करने लगते हैं और हास्य का माहौल बन जाता है।
मौके पर यह रहे मौजूद
आखिरकार सब अम्मा की समझाने में सफल हो जाते हैं कि वहां कुछ भी गलत नहीं हो रहा था नाट्यकांडी थिएटर मंच, दिल्ली की ओर से कृष्णाचार्य सोनी और यामिनी गोयल द्वारा निर्देशित ‘अंडे के छिलके’ में विकास ने श्याम, दीपा ने वीना और शक़ीमा ने अम्मा के रूप में बेहद प्रभावित किया। केशव ने माधव, अंजली ने राधा और योगेश ने गोपाल के किरदारों के साथ भरपूर न्याय किया। संगीत और प्रकाश परिकल्पना कृष्णाचार्य सोनी की रही। मंच संचालन अविनाश सैनी ने किया इससे पूर्व विशिष्ट अतिथि श्रीभगवान शर्मा, सुभाष नगाड़ा, वृंदा कुमारी, कृष्णाचार्य सोनी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। साथ ही, विशिष्ट अतिथि व नाटक के निर्देशक का पौधा देकर स्वागत किया गया। प्रस्तुति के बाद शक्ति सरोवर त्रिखा, रिंकी बतरा व विशिष्ट अतिथि ने कलाकारों को स्मृति चिह्न प्रदान किया। इस अवसर पर इंदरजीत सिंह भयाना मनीषा हंस, पंकज शर्मा, मनीष कुमार, अजय गर्ग, ज्योति बत्रा, डॉ. हरीश वशिष्ठ, रिंकी बतरा, अविनाश सैनी, सुजाता, शक्ति सरोवर, अमित शर्मा, यतिन वधवा सहित नाटकप्रेमी विशेष रूप से उपस्थित रहे।