नई दिल्ली। टोकियो ओलिंपिक 2020 से कुछ महीने पहले भारत के जब निशानेबाज रवि कुमार और मुक्केबाज सुमित सांगवान डोप टेस्ट में फेल हो गए। नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) के मुताबिक इन्हें प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन का दोषी पाया गया है। निशानेबाज रवि में प्रोप्रेनोलोल ड्रग जबकि ओलिंपियन सुमित सांगवान (91 किग्रा) को एसिटाजोलामाइड के सेवन का दोषी पाया गया था। ये ड्रग नाडा की प्रतिबंधित सूची में शामिल है।
इन दोनों का नाम सामने आने के बाद खेल जगत भी काफी हैरान हैं क्योंकि आमतौर पर निशानेबाजी और मुक्केबाजी में डोपिंग कम ही सुनने को मिलती है। एशियन चैंपियनशिप 2017 में सुमित ने रजत पदक जीता था। सुमित वर्ल्ड मुक्केबाजी चैंपियनशिप के क्वार्टरफाइनल तक पहुंचे थे। डोपिंग में फंसने के कारण फरवरी में चीन के वुहान में होने वाले ओलिंपिक क्वालीफायर के सिलेक्शन ट्रायल में उनके हिस्सा लेने की उम्मीद लगभग खत्म हो चुकी है।
सुमित का कहना है कि उनकी आंख का इलाज चल रहा है और उन्होंने डॉक्टर की सलाह पर दवाई ली थी। इसी में प्रतिबंधित ड्रग एसिटाजोलामाइड मौजूद था। ग्लुकोमा की वजह से आंख में बढ़ने वाले दबाव के इलाज के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है। रवि ने नाडा को अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मैंने अनजाने में माइग्रेन के उपचार के लिए दवा ली थी। मई-जून में कुमार सुरेंद्र नाथ स्मृति प्रतियोगिता के दौरान परीक्षण से कुछ दिन पहले घर में मेरे डाक्टर ने मुझे यह दवा लिखी थी। इसमें प्रतिबंधित प्रोप्रेनोलोल ड्रग था, जो ब्लड प्रेशर के इलाज के दौरान किया जाता है। माइग्रेन के उपचार के लिए इसे लिया जाता है। उन्होंने कहा, म्यूनिख वर्ल्ड कप से लौटने के बाद मुझे माइग्रेन का अटैक आया था। मेरे पैरेंट्स मुझे डॉक्टर के पास ले गए, मैंने उन्हें बताया कि मैं शूटर हूं। उन्होंने मुझे आश्वस्त किया था कि इस दवाई से मुझे कोई नुकसान नहीं होगा। रवि अपने बी नमूने का परीक्षण नहीं कराएंगे और उन्होंने नतीजों को स्वीकार कर लिया है। ए नमूने के नतीजों को स्वीकार करने के बाद अधिकतम सजा 2 साल है लेकिन रवि को सजा में नरमी की उम्मीद है।
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