नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
महेंद्रगढ़ के रेलवे रोड़ स्थित श्री विष्णु भगवान मन्दिर में चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी श्री राम कथा के तीसरे दिन शिव-पार्वती विवाह एवं शिव चरित्र का वर्णन किया गया। कथावाचक श्री धाम अयोघ्या से पधारे स्वामी श्री राम सुमिरन दास महाराज, शिवराम पांडे शास्त्री, भजूमन दास, नरेंद्र दास महाराज ने जीवन में राम नाम स्मरण का महत्व समझाते हुए शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया। सुंदर-सुंदर भजन ‘‘शिव को ब्याहने चले, भोले की बारात चली सहित अन्य पर श्रद्धालुओं ने आनंद लिया व शिव विवाह प्रसंग का वर्णन सुन मंत्रमुग्ध हो गए।
शिव-पार्वती की आकर्षक झांकी को देखकर मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धाल
राम सुमिरन दास महाराज ने बताया कि जीवन रूपी नैया को पार करने के लिए राम नाम ही एक मात्र सहारा है। वर्तमान दौर में ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जो दुखी न हो। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं होता है कि हम भगवान का स्मरण करना ही छोड़ दें। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे। राम नाम का स्मरण करने मात्र से हर एक विषम परिस्थिति को पार किया जा सकता है। लेकिन, अमूमन सुख हो या दुख हम भगवान को भूल जाते हैं। दुखों के लिए उन्हें दोष देना उचित नहीं है। हाथ की रेखा देखकर बोला वो नारद जोगी मतवाला, जिससे तेरा ब्याह रचेगा वो होगा डमरु वाला, भजन के साथ शिव पार्वती विवाह प्रसंग पर प्रकाश डाला। महाराज का कहना था कि नारद मुनि भगवान शिव एवं पार्वती विवाह का रिश्ता लेकर आए थे। उनकी माता इसके खिलाफ थी उनका मानना था कि शिव का कोई ठोर ठिकाना नहीं है। ऐसे पति के साथ पार्वती का रिश्ता निभना संभव नहीं है। उन्होंने इसका विरोध भी किया। लेकिन, माता पार्वती का कहना था कि वे भगवान शिव को पति के रुप में स्वीकार कर चुकी है तथा उनके साथ ही जीवन जीना चाहेंगी। इसके बाद दोनों का विवाह हो सका।
इस दौरान शिव-पार्वती की विशेष झांकी का प्रबन्ध किया गया। इस दौरान भगवान शिव और पार्वती की विवाह की रोचक और प्रासंगिक कथा को श्रोताओं के समक्ष रखा, जिसे सुनकर श्रोता आनंदित हो गए और शिव विवाह के अनेक रोचक प्रसंगों पर कई बार श्रोताओं के चेहरे पर एक अलग सी चमक देखने को मिली।
श्री विष्णु मंदिर प्रभारी शंकर लाल ने पार्वती जी के छोटी उम्र में तप और भजन करने के प्रसंग को श्रोताओं के समक्ष रखते हुए कहा कि व्यक्ति को समय रहते भजन में लग जाना चाहिए क्योंकि जीवन का कोई पता नहीं, जीवन की क्षणभंगुरता इस बात की पर्याय है कि भजन करने का जो समय मिले वही उचित है क्योंकि बुढ़ापे में भजन नहीं हो पाते।
काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे
कथा समाप्त होने पर श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरीत किया गया। इस अवसर पर मन्दिर कमेटी प्रधान मनोहर लाल झुकिया, पूर्व एसडीओ लक्ष्मीनारायाण कौशिक, रामानन्द शर्मा, नरेन्द्र कुमार, डॉ. सुधीर यादव, मनोज कुमार, आत्माराम, मुकेश शर्मा, केशर देवी, बिमला देवी, शशि बाला, उर्मिला देवी, माया देवी, कृष्णा देवी, सीना यादव, यक्ष, रजनी बत्रा, श्वेता मित्तल, मुस्कान, राधा रानी, कमलेश सोनी, ललिता देवी, अंजू देवी, आरूश, मन्नू, मदन लाल, फुल चंद सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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