नई दिल्ली, एजेंसी। महाराष्ट्र में दो समान विचरधाराओं वाली पार्टियां जो बरसों से एक साथ थीं वह अलग हो गर्इं। शिवसेना और भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एक मत नहीं हो सकी हालांकि जनता ने शिवसेना-भाजपा गठबंधन को बहुमत दिया था लेकिन मुख्यमंत्री पद की लालसा ने दोनों पार्टियों के बीच दरार डाल दी। अब शिवसेना अपने विपरीत विचारधारा के लोगों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने की कवायद में जुटी हुई है। अब शिवसेना के सुर भी पूरी रतह बदल गए हैं। हिंदूत्व की बात करने वाली शिवसेना अब धर्मनिरपेक्षता का राग गा रही है। शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि भारत और उसके संविधान की बुनियाद धर्मनिरपेक्ष शब्द पर टिकी है। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने आश्वासन दिया कि महाराष्ट्र में सरकार गठन की प्रक्रिया 10 दिनों में पूरी हो जाएगी। यह पूछने पर कि क्या कांग्रेस ने गठबंधन करने से पहले शिवसेना को उसका हिंदुत्व एजेंडा त्यागने के लिए कहा है? उन्होंने धर्मनिरपेक्ष सुर में कहा, ‘देश और उसकी बुनियाद धर्मनिरपेक्ष शब्द पर टिके हैं। आप किसानों, बेरोजगारों या भूखों से उनका धर्म या उनकी जाति नहीं पूछ सकते… देश में सभी लोग धर्मनिरपेक्ष हैं।’उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने हमेशा हर धर्म एवं जाति के लोगों को साथ रखा और शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने सबसे पहले कोर्ट के सामने शपथ लेने के लिए धार्मिक ग्रंथों के स्थान पर भारतीय संविधान को रखने का विचार पेश किया था।