Shiv Sena quota minister Abdul Sattar resigns before cabinet split in Uddhav government in Maharashtra: महाराष्ट्र में उद्धव सरकार में कैबिनेट बंटवारे से पहले, शिवसेना कोटे के मंत्री अब्दुल सत्तार ने दिया इस्तीफा

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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। शिवसेना के नेतृत्व में बनी महाराष्ट्र सरकार का लगभग एक महीने बाद मंत्रिमंडल विस्तार किया गया। इस विस्तार के बाद पांच दिन के अंदर ही मंत्रिमंडल की खटपट दिखाई गई है। शिवसेना कोटे से राज्यमंत्री बने अब्दुल सत्तार ने राज्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के अनुसार सत्तर कैबिनेट मंत्रीपद न मिलने से नाराज हैं। उन्होंने 30 दिसंबर को मंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सत्तार ने इस्तीफा दिया है या नहीं। बताया जा रहा है कि पार्टी सत्तार को मनाने और पद पर बने रहने के लिए मनाने का प्रयास कर रही है। जबकि वरिष्ठ शिवसेना नेता अनिल देसाई ने कहा कि सत्तार ने इस्तीफा नहीं दिया है। इस बीच, सत्तार से मिलने और इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पार्टी की ओर से अर्जुन खोतकर को भेजा गया है। खोतकर औरंगाबाद के एक होटल में सत्तार से मिले, लेकिन होटल से निकलने से पहले इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की। सत्तार के बेटे समीर ने कहा कि मुझे पता नहीं है कि क्या उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। केवल वही इस मुद्दे पर बात कर पाएंगे। बता दें कि शिवसेना के अंदर मंत्रिमंडल विस्तार के समय कई वरिष्ठ नेताओं की अनदेशी की गई है जिसकी वजह से नेताओं में असंतोष और आक्रोश व्याप्त हो गया था। पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकारों में कैबिनेट मंत्री रह चुके कई विधायकों को शिवसेना कोटे से कैबिनेट बर्थ दिए जाने की उम्मीद थी। शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तीन निर्दलीय विधायकों को एक को कैबिनेट और दो को कनिष्ठ मंत्री का पद दिए जाने के बाद से पार्टी के अंदर कई विधायक नाखुश हैं।
गौरतलब है कि पहले अब्दुल कांग्रेस में थे और वहां से नाराज होकर उन्होंने शिवसेना का हाथ थामा था। मराठवाडा में औरंगाबाद के जमीनी नेता के तौर पर अब्दुल सत्तार की पहचान है। इन दिनों महाराष्ट्र में जिला परिषद के चुनाव चल रहे हैं और जिला परिषद अध्यक्ष पद पर अब्दुल सत्तार अपने उम्मीदवार को जिताना चाहते हैं, जबकि महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार जिसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस तीनों शामिल हैं ने यह तय किया है कि जिला परिषद अध्यक्ष कांग्रेस का बनाया जाए।