बड़ी पुरानी कहावत है कि नींव मज़बूत हो तो इमारत शानदार बनती है .. आस्ट्रेलियाई दौरे पर भारतीय टीम की नींव रखने के लिए तीन खिलाड़ी मयंक अग्रवाल पृथ्वी शा और शुभमन गिल को चुना गया । अब पहले टेस्ट मैच के पहले अब सबसे गर्मागर्म चर्चा है कि टीम इंडिया में सलामी बल्लेबाजी की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी? टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री इस चर्चा को लेकर कितने गंभीर है कहना मुश्किल है, लेकिन क्रिकेट फैंस और खबरों की दुनिया में ये मुद्दा गर्म है। इस मुद्दे के गर्म होने के पीछे की वजह है प्रैक्टिस मैच में शुभमन गिल का प्रदर्शन। सलामी बल्लेबाज के तौर पर मयंक अग्रवाल का नाम तो तय है लेकिन उनके जोड़ीदार के तौर पर शुभमन गिल और पृथ्वी शॉ में मुकाबले की बात है। इस कहानी को आगे बढ़ाने से पहले आपको याद दिला दें कि भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला डे-नाइट टेस्ट मैच 17 तारीख से एडिलेड में खेला जाना है। जो पिंक बॉल टेस्ट मैच होगा।
प्रैक्टिस मैच में पृथ्वी शा फेल
दरअसल, दोनों प्रैक्टिस मैच में प्रदर्शन के लिहाज से शुभमन गिल ने बेहतर खेल दिखाया है। उन्होंने पहले प्रैक्टिस मैच में तो कुछ खास नहीं किया था लेकिन दूसरे प्रैक्टिस मैच में 43 और 65 रन की पारी खेली। जबकि पृथ्वी शॉ ने अब तक चार पारियों में कुल 62 रन बनाए हैं। इसमें 40 उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर है। इसके अलावा पृथ्वी शॉ की बजाए शुभमन गिल की वकालत करने वालों के पास एक और तर्क है। इस साल की शुरूआत में मयंक अग्रवाल और पृथ्वी शॉ की जोड़ी को न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में सलामी बल्लेबाजी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ये जोड़ी क्रिकेट फैंस को प्रभावित नहीं कर पाई थी। पहले टेस्ट मैच की पहली पारी में 16 और दूसरी पारी में 27 रन जोड़कर ये जोड़ी टूट गई थी। दोनों बार पृथ्वी शॉ ने अपना विकेट गंवाया था। दूसरे टेस्ट मैच में भी ये जोड़ी लंबी नहीं चली। पहली पारी में स्कोरबोर्ड पर 30 और दूसरी पारी में 8 रन जोड़कर ये जोड़ी टूट गई थी। इस बार मयंक अग्रवाल दोनों पारियों में पहले आउट हुए। बावजूद इसके तार्किक बात ये है कि इस दौरे के लिए बतौर सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ टीम की पहली पसंद थे। सिर्फ प्रैक्टिस मैच के आधार पर ये सोच बदलना मुश्किल लग रहा है।
ये सत्संगी कि पृथ्वी शॉ ने प्रैक्टिस मैच में ज़रूर निराश किया। इससे पहले टेस्ट सीरीज में भी वो अटपटे ढंग से आउट होकर पवेलियन लौटे हैं। टेस्ट सीरीज का आईपीएल से कोई लेना देना नहीं है लेकिन फार्आम के लिहाज़ से आईपीएल के इस सीजन में भी वो 13 मैच में सिर्फ 228 रन ही बना पाए थे। बावजूद इसके एक सोच है जो जो पृथ्वी शॉ के साथ चलती है। वो ‘परसेप्शन’ उन्होंने कमाया है। उनके बारे में टीम मैनेजमेंट मानती है कि वो काबिल बल्लेबाज हैं। उनकी बल्लेबाजी पर पैनी नजर रखकर आप पाएंगे कि वो बैकफ़ुट के लाजवाब खिलाड़ी हैं। पृथ्वी गेंद की लेंथ को जल्दी पकड़ लेते हैं। आप क्रीज़ पर उनके खड़े होने के अंदाज को देखेंगे तो समझ जाएंगे कि वो शॉट्स खेलने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ये आदत कई बार उनके खिलाफ भी गई है। लेकिन पृथ्वी शॉ की ‘प्लेसमेंट’ और ‘टाइमिंग’ कमाल की है। उन्हें अपना स्वाभाविक खेल खेलने में मज़ा आता है। इसीलिए जब आप पृथ्वी शॉ को खेलते देखते हैं तो कई बात लगता है कि ये सचिन और सहवाग को मिलाकर एक खिलाड़ी बनाया गया है। पृथ्वी के बारे में ये राय कई दिग्गज खिलाड़ियों की भी है। यही वजह है कि हालिया प्रदर्शन के तर्क पर भले ही वो पहले टेस्ट मैच के प्लेइंग-11 में पिछड़ते दिख रहे हों लेकिन 17 दिसंबर को मैदान में अगर वो नजर आएं तो चौंकिएगा बिल्कुल नहीं।