- नाराज विपक्ष गया सदन से बाहर
- सत्ता पक्ष ने विपक्ष के व्यवहार को बताया गैर जिम्मेदाराना
- निंदा प्रस्ताव किया पारित
Himachal Assembly : शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में वीरवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार हुई। तकरार के केंद्र में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी रहे। यह वाक्या उस समय हुआ, जब सदन में हिमाचल प्रदेश के लिए सिक्किम, उत्तराखंड और आसाम की तर्ज पर केंद्र से विशेष वित्तीय सहायता मांगने के सरकारी संकल्प पर चर्चा चल रही थी।
इस दौरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी विधायक रणधीर शर्मा द्वारा आपदा को लेकर उठाए मुद्दे पर अपना स्पष्टीकरण देने के लिए उठे, लेकिन तभी उनकी नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के साथ तीखी नोक-झोंक हो गई। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच माहौल गरमा गया और दोनों ही पक्षों के सदस्य अपनी-अपनी सीटों पर खड़े होकर एक-दूसरे के खिलाफ शोरगुल करने लगे। बात नारेबाजी तक बढ़ गई और फिर पूरा विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चला गया।
इस बीच, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के व्यवहार को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया और कहा कि उसके वाकआउट से स्पष्ट हो गया कि भाजपा हिमाचल विरोधी है और उसका एकमात्र ऐजेंडा अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना है। उन्होंने कहा कि विपक्ष भ्रमित है और वह राज्य के हितों के खिलाफ काम कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि NDRF और SDRF के तहत केंद्र से मिल रहा पैसा हिमाचल का अधिकार है और केंद्र यह पैसा देकर कोई खैरात नहीं बांट रहा है, क्योंकि यह राशि 15वें वित्तायोग की सिफारिशों के अनुसार हर राज्य को दी जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जल्द की केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात करेंगे और PDNA के तहत लंबित धन राशि जारी करने की मांग करेंगे। सुक्खू ने कहा कि वह अपने अधिकारों और केंद्र से आवंटन के लिए लड़ेंगे और भाजपा की तरह मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे।
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विपक्ष के वाकआउट की निंदा करते हुए कहा कि वह पूरी तरह से दिशाहीन हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र हिमाचल के साथ भेदभाव कर रहा है और प्रदेश के उसके हक नहीं दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र ने हिमाचल का NPS का 9,200 करोड़ रुपए दबाया हुआ है। इसी तरह राजस्व घाटा अनुदान, GST और बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं तथा ऋण जुटाने की सीमा को भी कम कर दिया है।
उन्होंने केंद्र पर हिमाचल को आर्थिक तौर पर अस्थिर करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा सचमुच हिमाचल के हितों की हितैषी होती तो वह सदन के भीतर रहकर इस प्रस्ताव का समर्थन करती। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपने शासनकाल में कभी हिमाचल के हितों को केंद्र से नहीं मांगा। उन्होंने माना कि प्रदेश में वित्तीय संकट आज से नहीं, बल्कि पूर्व भाजपा सरकार के समय से है।
उन्होंने विपक्ष के वाकआउट के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पेश किया, जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसी मुद्दे पर विधायक भवानी सिंह पठानिया ने कहा कि केंद्र सरकार हिंदू विरोधी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में 96% लोग हिंदू हैं, जबकि आसाम, उत्तराखंड और सिक्किम में इसकी तुलना में हिंदुओं की संख्या कम है। इसके बावजूद केंद्र ने इन राज्यों को आपदा से निपटने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज दिया है, जबकि हिमाचल को मल्टीलेटरल मदद की बात कही है, जिससे हिमाचल की कोई मदद नहीं हुई है।
केंद्रीय सहायता के लिए संकल्प पारित Himachal Assembly
हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने राज्य में वर्ष 2023-24 के दौरान आई प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से शत-प्रतिशत अनुदान के रूप में सहायता राशि प्रदान करने के लिए एक संकल्प पारित किया। यह संकल्प मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को सदन में पेश किया था। इस संकल्प पर आज चर्चा हुई।
संकल्प के अनुसार जिस प्रकार वर्ष 2024-25 के बजट में केंद्र सरकार ने 3 आपदा प्रभावित राज्यों सिक्किम, आसाम और उत्तराखंड के बाढ़ प्रबंधन और संबंधित परियोजनाओं के लिए अनुदान के रूप में सहायता दिए जाने की घोषणा की है, उसी प्रकार हिमाचल प्रदेश में भी 3 राज्यों की तर्ज पर आपदा से भारी नुकसान हुआ था। इसलिए केंद्र हिमाचल को भी शत-प्रतिशत सहायता राशि प्रदान करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट को सीधी सहायता देने की बजाय मल्टीलेटरल फंडिंग ऐजेंसी से बाह्य सहायता देने की बात कही है। यह सहायता 80:20 के अनुपात में मिलती है और प्रदेश को इसमें अपना 28% हिस्सा देना पड़ता है। यही नहीं, मल्टीलेटरल फंडिंग एजेंसी से बाह्य सहायता परियोजना के अनुमोदन में भी काफी समय लगता है। Himachal Assembly
यह भी पढ़ें : Himachal News : संजौली में मस्जिद विवाद पर जोरदार प्रदर्शन