Aaj Samaj (आज समाज),Shardiya Navratri, Maa Skandmata Vrat Katha, अंबाला :
मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से मंदबुद्धि भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार यानी स्वामी कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम कहा जाता है। स्कंदमाता की गोद में उनके पुत्र स्कंद शोभायमान हैं। स्कंदमाता को मां दुर्गा का ममतामयी रूप माना गया है। ऐसा माना जाता है नवरात्र में मां इस का रूप की पूजा करने से मां संतान सुख का आशीर्वाद देती हैं।ऐसा है स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता के विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में लिए हैं और नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प सुशोभित है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में है और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम श्वेत और ये स्वयं कमल के आसन पर विराजमान हैं। इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।
स्कंदमाता का ध्यान मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंद माता यशस्विनी॥
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
शास्त्रों में स्कंदमाता की पूजा का महत्व कुछ इस प्रकार बताया गया है कि इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांति प्राप्त करता है।
ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा
स्कंदमाता को वाणी की देवी भी माना गया है, इसलिए जो लोग गायन, ऐंकरिंग या फिर ऐसे किसी और प्रफेशन से जुडे़ हों, जिसमें आपकी आवाज का महत्व होता है उन्हें नवरात्र में विशेष तौर पर स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। जिन्हें गले में किसी प्रकार की तकलीफ या वाणी-दोष है, उन्हें गंगाजल में पांच लवंग मिलाकर स्कंदमाता का आचमन कराना चाहिए।