Aaj Samaj (आज समाज),Shardiya Navratr 2023 6th Day,अंबाला :
आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों में छठा रूप कात्यायनी देवी का है। आपको बता दें कि यजुर्वेद में प्रथम बार ‘कात्यायनी’ नाम का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए आदि शक्ति देवी के रूप में महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई थीं।
आपको बता दें कि महर्षि ने देवी को अपनी कन्या माना था, तभी से उनका नाम ‘कात्यायनी’ पड़ गया। कात्यायनी की पूजा- अर्चना करने से व्यक्ति को अपनी सभी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है। कात्यायनी मां को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा गया है। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं और इनकी सवारी सिंह है। महिषासुर नामक दैत्य का वध करने वाली माता भी यही हैं। आइए जानते हैं पूजा- विधि, मंत्र और आरती
जानिए क्या है पूजा विधि:
मां कात्यायनी की व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार देव ऋषि कात्यायन मां दुर्गा के परम उपासक थे. मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए एक बार देव ऋषि कात्यायन ने मां की कठोर तपस्या की. ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां प्रकट हो बोलीं, वत्स जो वर मांगना चाहते हो, मांगों. मां के इतना कहते ही देव ऋषि ने मां भगवती से वर मांगा और कहा कि मां आप मेरे घर पुत्री के रूप में जन्म लो. देव ऋषि की बात सुनकर मां ने उन्हें वर पूरा होने का वरदान दिया.
फिर मां दुर्गा ने देव ऋषि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया. और पिता का नाम कात्यायन की पुत्री होने के कारण मां के इस अवतार को कात्यायनी कहा गया है. शास्त्रों में कहा गया है कि मां कात्यायनी की पूजा भगवान राम और श्री कृष्ण ने दी थी. मान्यता है कि गोपियों ने श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए माता के इसी रूप की उपासना की थी.
मां कात्यायनी का प्रिय रंग
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है. मां को लाल रंग बेहद प्रिय है,इसलिए मां ऋंगार लाल रंग का करना चाहिए. इसके अलावा नवरात्रि के छठे दिन नीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करें.