Shambhu Border Protest: किसानों की शिकायतों के हल के लिए कमेटी बनाएगा सुप्रीम कोर्ट

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Shambhu Border Protest किसानों की शिकायतों के हल के लिए कमेटी बनाएगा सुप्रीम कोर्ट
Shambhu Border Protest : किसानों की शिकायतों के हल के लिए कमेटी बनाएगा सुप्रीम कोर्ट

Farmers Protest Updates, (आज समाज), नई दिल्ली: हरियाणा के अंबाला में शंभू बॉर्डर पर गत फरवरी से धरने पर बैठे किसानों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुयान की पीठ ने इस दौरान कहा कि किसानों की शिकायतों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए कोर्ट जल्द एक समिति गठित करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा एवं पंजाब सरकार किसानों से संबंधित सभी संभावित मुद्दे समिति को बताएं। साथ ही दोनों राज्यों की सरकारें प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करते रहें और उन्हें राजमार्ग से अपने ट्रैक्टर और ट्रॉलियां हटाने के लिए राजी करें।

  • 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हैं किसान

किसानों राजमार्ग को आंशिक रूप से खोलने पर सहमति हुए

पंजाब सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 12 अगस्त के आदेश का पालन करते हुए उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों संग बैठक की और इस दौरान किसानों ने अवरुद्ध राजमार्ग को आंशिक रूप से खोलने पर सहमति जताई। 12 अगस्त को शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार से कहा था कि वह 13 फरवरी से शंभू सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को सड़क से ट्रैक्टर और ट्रॉलियां हटाने के लिए राजी करे। अदालत ने कहा था, ‘राजमार्ग पार्किंग स्थल नहीं हैं।

हाई कोर्ट के आदेश को दी गई है चुनौती

सुप्रीम कोर्ट  हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हरियाणा सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें हाई कोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड्स को एक हफ्ते में  हटाने के आदेश दिए थे। शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं।  13 फरवरी  दिल्ली तक मार्च करने का ऐलान किया था।

किसानों ने किया था दिल्ली तक मार्च का ऐलान

हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेड्स लगाए थे, जब ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (गैर-राजनीतिक) और ‘किसान मजदूर मोर्चा’ ने अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली तक मार्च करने का ऐलान किया था। किसान संगठनों की मांग है कि उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए।