नवीन मित्तल, शहजादपुर:
राजकीय महाविद्यालय नारायणगढ़ में वन महोत्सव के तहत महाविद्यालय प्राचार्य संजीव कुमार की उपस्थिति में महाविद्यालय प्रांगण में पौधारोपण किया गया। इस अवसर पर राजकीय कन्या महाविद्यालय शहजादपुर के सहायक प्रोफेसर निर्मल सिंह, नारायणगढ कालेज की सहायक प्रोफेसर सुमन लता द्वारा पौधारोपण किया गया। इस अवसर पर अंग्रेजी विषय की सहायक प्रोफेसर डॉ. अपूर्वा चावला ने भी पौधारोपण किया। इस मौके पर प्राचार्य संजीव कुमार ने पेड़-पौधों के हमारे जीवन में महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब से दुनिया शुरू हुई है, तभी से इंसान और प्रकृति के बीच गहरा रिश्ता रहा है। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन मिलती है, जिसके बिना कोई एक पल भी जिन्दा नहीं रह सकता और इनसे औषधियां भी मिलती हैं। पेड़ इंसान की जरूरत हैं, उसके जीवन का आधार हैं। सहायक प्रोफेसर निर्मल सिंह ने कहा कि आज के समय में पर्यावरण संरक्षण करना बेहद जरूरी है। सिर्फ पौधा लगाना ही काफी नहीं है।
राजकीय महाविद्यालय नारायणगढ़ में वन महोत्सव के तहत महाविद्यालय प्राचार्य संजीव कुमार की उपस्थिति में महाविद्यालय प्रांगण में पौधारोपण किया गया। इस अवसर पर राजकीय कन्या महाविद्यालय शहजादपुर के सहायक प्रोफेसर निर्मल सिंह, नारायणगढ कालेज की सहायक प्रोफेसर सुमन लता द्वारा पौधारोपण किया गया। इस अवसर पर अंग्रेजी विषय की सहायक प्रोफेसर डॉ. अपूर्वा चावला ने भी पौधारोपण किया। इस मौके पर प्राचार्य संजीव कुमार ने पेड़-पौधों के हमारे जीवन में महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब से दुनिया शुरू हुई है, तभी से इंसान और प्रकृति के बीच गहरा रिश्ता रहा है। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन मिलती है, जिसके बिना कोई एक पल भी जिन्दा नहीं रह सकता और इनसे औषधियां भी मिलती हैं। पेड़ इंसान की जरूरत हैं, उसके जीवन का आधार हैं। सहायक प्रोफेसर निर्मल सिंह ने कहा कि आज के समय में पर्यावरण संरक्षण करना बेहद जरूरी है। सिर्फ पौधा लगाना ही काफी नहीं है।
पौधे की समुचित देखभाल भी की जानी चाहिए, ताकि वे वृक्ष बन सकें। भारतीय समाज में आदिकाल से ही पर्यावरण संरक्षण को महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा भी वन विभाग के माध्यम से पौधारोपण को बढावा देने के लिए पौधोगिरी जैसी योजनाएं शुरू की गई है। सहायक प्रोफेसर सुमन लता ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों को पूजा जाता है। उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि जिस देश में, समाज में पेड़-पौधों को पूजने की प्रथा रही है, अब उसी देश में, उसी समाज में पेड़ कम हो रहे हैं। बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए वृक्षों को काटा जा रहा है। नतीजतन जंगल खत्म हो रहे हैं। इससे पर्यावरण के सामने संकट खड़ा हो गया है। इस अवसर पर सहायक प्रोफेसर डॉ. अपूर्वा चावला ने भी पौधों के महत्व पर प्रकाश डाला। इसके लिए ज्यादा से ज्याद वृक्ष लगाने होंगे। इस मौके पर प्रोफेसर अनिल सैनी, सुभाष कुमार, सर्वजीत सिंह व अन्य स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे।